अंबिकापुर। मासूम को घूमने ले जाने का झांसा देकर लैंगिक हमला करने के आरोपित को अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी सुनीता टोप्पो की अदालत ने मृत्यु पर्यंत आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने लगभग एक वर्ष के भीतर इस प्रकरण की सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुनाया। अदालत ने क्षतिपूर्ति योजनांतर्गत मासूम पीड़िता को समूचित प्रतिकर दिलाए जाने की भी अनुशंसा की है।
विशेष लोक अभियोजक संतोष कुमार सिंह ने बताया कि मूलतः बिहार के औरंगाबाद जिलांतर्गत ओबरा थाना के ग्राम फरूब निवासी रंजीत गिरी उर्फ मुखिया 48 वर्ष अंबिकापुर के एक मोहल्ले में निवास करता था। घटना दिवस 17 अक्टूबर 2018 की शाम मासूम अपने घर के बाहर खेल रही थी। उसे घूमने ले जाने का झांसा देकर आरोपित अपने साथ ले गया था और मासूम पर लैंगिक हमला किया था।
उसने पीड़िता को इस बात की जानकारी किसी को न देने की बात भी कही थी। दूसरे दिन मासूम पीड़िता ने परिजनों को वस्तुस्थिति से अवगत कराया था। पुलिस ने आरोपित रंजीत गिरी उर्फ मुखिया के खिलाफ आइपीसी की धारा 363, 366क, 376क,ख तथा लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धाराओं के तहत अपराध पंजीबद्घ कर आरोपित को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया था
विशेष लोक अभियोजक संतोष सिंह ने बताया कि प्रकरण के सारे तथ्यों की सुनवाई व पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी, विशेष न्यायाधीश लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम सुनीता टोप्पो की अदालत ने गुरूवार को फैसला सुनाया।
आरोपित को धारा 363 व 366क के सात-सात वर्ष का कारावास तथा लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की धारा 5थ, 5ड, 5झ के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने कहा कि आजीवन कारावास जो कि 20 वर्ष से कम की नहीं होगी, किंतु अभियुक्त के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास तक का होगा। आरोपित को अर्थदंड भी सुनाया गया है
अदालत ने कहा है कि अपील अवधि समाप्त होने के बाद अथवा अपील नहीं होने पर छग शासन से पीड़िता के साथ हुई शारीरिक व मानसिक क्षति तथा पुनर्वास के एवज में धारा 357ए पीड़ित क्षतिपूर्ति योजनांतर्गत समुचित लाभ भी दिलाया जाना चाहिए
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