नई दिल्ली। PM Modi Speech : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर देशभर में हो रहे हिंसक विरोध के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को स्थिति स्पष्ट करते हुए मुसलमानों की चिंताओं को दूर करने की कोशिश की। उन्होंने दो टूक कहा कि इन दोनों का भारतीय मुस्लिमों से कोई लेना-देना नहीं है। इसके साथ ही आरोप लगाया कि उन्हें निशाना बनाने के लिए विपक्ष लोगों को 'भड़का" कर देश को बांटने की कोशिश कर रहा है। दिल्ली में अवैध कॉलोनियों को नियमित किए जाने को लेकर आयोजित एक रैली में प्रधानमंत्री ने नए नागरिकता कानून का जमकर बचाव करते हुए कहा कि यह पड़ोसी देशों में सताए गए अल्पसंख्यकों को अधिकार देने का कानून है, न कि किसी का अधिकार छीनने का।
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आप तथा वामदलों पर प्रहार करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों से हो रहे भेदभाव को लेकर उसका पर्दाफाश करने का मौका था। लेकिन इस कानून के खिलाफ विपक्ष के विरोध से भारत ने यह मौका गंवा दिया।
अपने करीब सौ मिनट के भाषण में प्रधानमंत्री का पूरा जोर मुस्लिमों की आशंकाओं को दूर करने पर रहा। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत 'विविधता में एकता, भारत की विशेषता" से करते हुए कहा कि मुसलमान 'हमारे विरोधियों का टेप रिकॉर्ड न सुनें, बल्कि हमारा ट्रैक रिकॉर्ड देखें।"
इस संबंध में मोदी ने गरीबों के लिए रसोई गैस सिलेंडर देने की उज्ज्वला योजना तथा स्वास्थ्य बीमा का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी सरकार के यह मायने नहीं रखता कि कौन मंदिर जाता है और मस्जिद। प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार के कामकाज में भेदभाव बताने के लिए विपक्ष को चुनौती देते हुए आरोप लगाया कि विपक्ष जब राजनीतिक तौर पर उनसे नहीं निपट पाया तो झूठ और अफवाह फैलाने में लगा है।
प्रधानमंत्री ने कहा- 'नागरिकता संशोधन कानून या एनआरसी का भारतीय मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है। उन्हें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। कांग्रेस, उसके साथी तथा अर्बन नक्सल अफवाह फैला रहे हैं कि मुस्लिमों को डिटेंशन सेंटरों में भेज दिया जाएगा। जबकि सच्चाई यह है कि देश में डिटेंशन सेंटर है ही नहीं। नागरिकता कानून से भारतीय नागरिक से कोई लेना-देना नहीं है।"
प्रधानमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी सरकार बनने के बाद से न तो कैबिनेट और न ही संसद में एनआरसी पर कोई बात हुई। सिर्फ असम के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सरकार ने अपना पक्ष रखा था।
हालांकि उन्होंने देशव्यापी एनआरसी के औचित्य पर कहा कि घुसपैठिये कभी अपनी पहचान नहीं बताते, जबकि इसके उलट शरणार्थी कभी अपनी पहचान छुपाते नहीं हैं। प्रधानमंत्री ने एनआरसी पर भी झूठ फैलाने का आरोप लगाते हुए जोर देकर कहा कि इसकी शुरुआत तो पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों ने ही की थी।
प्रधानमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा असम के पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के बयानों का हवाला देते हुए कहा कि इन लोगों ने भी पड़ोसी देशों में सताए गए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने की वकालत की थी। लेकिन अब जब राजग सरकार ने उस काम किया है तो इसका विरोध क्यों?
ममता दीदी आप क्यों बदल गईं
प्रधानमंत्री ने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख तथा बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भी पुराने बयानों का हवाला दिया। कहा कि संसद में तो वह घुसपैठ के खिलाफ आवाज उठाती रहीं, आसन की ओर कागज फेंकती रहीं। लेकिन ममता दीदी अब आपका रुख क्यों बदल गया।
मोदी के पुतले जलाओ, दूसरों की संपत्ति नहीं
सीएए के खिलाफ देशभर में हाल में हुई हिंसक घटनाओं पर दुख व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने विपक्षी दलों पर शांति की अपील नहीं करने के लिए प्रहार करते हुए कहा कि उनकी 'चुप्पी" यह दर्शाती है कि हिंसा और तोड़फोड़ को उनका परोक्ष समर्थन है। उन्होंने विरोधियों से कहा कि वे उनके पुतले को टांग कर उस पर जूते मारें, उसे जलाएं लेकिन दूसरों की संपत्तियों को नहीं जलाएं। प्रदर्शनकारियों से निपटने में कथित बर्बरता का आरोप झेल रही पुलिस के कामकाज की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पुलिस तो हमेशा मदद के लिए आती है और आजादी के बाद 33 हजार से ज्यादा जवानों ने अपना बलिदान दिया है।
प्रधानमंत्री ने मुस्लिम देशों में मिल रहे समर्थन और सम्मान का हवाला देते हुए कहा कि कांग्रेस और उसके दोस्तों को इस बात की चिंता है कि यदि मोदी को दुनिया भर में मुस्लिमों का समर्थन मिल रहा तो देश में वे मुस्लिमों को मोदी के खिलाफ कब तक भड़काएंगे?
दूसरी ओर, कांग्रेस ने विपक्ष पर लोगों को 'उकसाने" के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आरोपों पर पलटवार किया है। कहा है कि डर और अनिश्चितता का माहौल तो गृह मंत्री अमित शाह के संसद में दिए उस बयान से पैदा हुआ है, जिसमें उन्होंने कहा था नागरिकता संशोधन कानून के बाद एनआरसी लागू किया जाएगा।
कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा- 'संसद के दोनों सदनों में गृह मंत्री के बयान (सीएए के बाद लागू होगा एनआरसी) से डर और अनिश्चितता का माहौल पैदा हुआ है। इसके लिए सरकार जिम्मेदार है।"
उन्होंने कहा कि सीएए और एनआरसी पर जब देश भर में हिंसा की आग भड़की हुई है, तब प्रधानमंत्री को मरहम लगाने का काम करना चाहिए तथा यदि वह इसे लेकर 'संवेदनशील और गंभीर" हैं तो उन्हें राष्ट्रीय एकता परिषद (एनआईसी) में सभी मुख्यमंत्रियों की बैठक बुला कर चर्चा करनी चाहिए।
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