भोपाल। 12वीं की छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले को गोविंदपुरा पुलिस ने दो दिनों तक लोगों और मीडिया से छिपाकर रखा। जबकि, वारदात के दिन (4 जनवरी) को ही पुलिस ने दोनों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया था। उन्हें कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल दिया गया। पुलिस ने आरोपितों को रिमांड पर तक नहीं लिया। यह मामला तब दबाया गया, जबकि डीआईजी ने टीआई को मीडिया को जानकारी देने को कहा था। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि गोविंदपुरा पुलिस ने आखिर इस मामले को दो दिनों तक क्यों दबाकर रखा? वह क्या करना चाहती थी। रिमांड तक नहीं लिया: सामूहिक दुष्कर्म की वारदात शनिवार सुबह साढ़े नौ बजे हुई थी।
दोनों आरोपितों के खिलाफ एफआईआर दोपहर डेढ़ बजे हुई। इसके बाद पिपलानी पुलिस ने आरोपितों को गिरफ्तार भी कर लिया था। इसके बाद गोविंदपुरा पुलिस ने घटना के दिन आरोपितों को कोर्ट में पेश किया। वहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। हो सकता है कि दोनों आरोपितों ने पूर्व में इस प्रकार की और घटनाओं को अंजाम दिया हो। लेकिन पुलिस ने इन्हें रिमांड पर ही नहीं लिया। अगर आरोपितों से पूछताछ होती अन्य घटनाओं का पता चल जाता।
लूट की धारा भी नहीं लगाई : आरोपितों ने पीड़िता और उसके साथी के मोबाइल छीन लिए थे। लेकिन, पुलिस ने लूट की धारा ही नहीं लगाई। छात्रा को बंधक बनाकर रखा। उस पर कठोर धारा नहीं लगाई। गोविंदपुरा एएसपी संजय साहू का कहना है कि इस मामले में सामूहिक दुष्कर्म, बंधक बनाने, अड़ीबाजी और मारपीट की धाराएं लगाई गईं हैं। तकनीकी रूप से यह सामूहिक दुष्कर्म है। जबकि यह एक तरह से असॉल्ट (हमला) है, लेकिन निर्भया कांड के बाद असॉल्ट पर दुष्कर्म की ही धाराएं लगाई जाती हैं।
मैंने गोविंदपुरा टीआई को कहा था कि इस मामले की पूरी जानकारी मीडिया को दें। यह डेली क्राइम रिपोर्ट में देना था। हो सकता है कि वे चूक गए हों। पुलिस ने दोनों आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भिजवा दिया है। पीड़िता के बयान के बाद आगे धारा बढ़ाई जा सकती है।- इरशाद वली, डीआईजी
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