इंदौर। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की भले ही राजनीतिक विचारधारा नहीं मिलती हो, लेकिन दोनों के बीच गजब का तालमेल है। बुधवार को स्मार्ट सड़क का संसदीय समिति के साथ दौरा कर रहे दिग्विजय सिंह को देख कैलाश विजयवर्गीय ने अपनी कार रुकवाई और बड़ी गर्मजोशी से गले मिले। दिग्विजय सिंह भी उन्हें देख खिलखिलाकर हंस दिए और कहा कि चलो फोटो खिंचवाते हैं हम दोनों। दोनों के बीच इस तरह की 'केमिस्ट्री' देख दूसरे नेता भी आश्चर्य में थे। कैलाश विजयवर्गीय विद्यासागर महाराज से मिलकर लौट रहे थे और उन्हें संसदीय दल नजर आ गया था।
जब कैलाश विजयवर्गीय इंदौर के महापौर थे, तब दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और केंद्र में भाजपा सरकार थी। विजयवर्गीय ने कई योजनाएं केंद्र से मंजूर कराने की कवायद शुरू की तो सिंह ने उनका विरोध करने के बजाए मदद की और बाण्ड प्रोजेक्ट, नर्मदा तृतीय चरण जैसी योजनाएं जमीन पर आ सकी। जब भाजपा ने महापौर का टिकट विजयवर्गीय को दिया था तो कांग्रेस ने उनके सामने अधिकृत प्रत्याशी उतारने के बजाय सुरेश सेठ को अपना समर्थन दे दिया था। तब 69 वार्डों में भी फ्री फॉर ऑल की तर्ज पर पार्षद पद के उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था। यह फैसला भी तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार ने लिया था। बाद में विजयवर्गीय के महापौर कार्यकाल में शहर के विकास के काफी काम हुए और उनके लिए तब प्रदेश सरकार भी मददगार साबित होती रही। तब कांग्रेस नेता ही कहने लगे थे कि विजयवर्गीय की शिकायतें सिंह के सामने करने का कोई मतलब नहीं है। दोनों के बीच पक्का राजनीतिक तालमेल है।
एक-दूसरे के खिलाफ खुलकर नहीं बोलते
विजयवर्गीय और सिंह अच्छे वक्ता हैं। दोनो ही अपने विवादित बयानों के लिए भी चर्चित रहते हैं, लेकिन कभी एक-दूसरे के खिलाफ खुलकर नहीं बोलते। एक-दूसरे के सवालों को हंसकर टाल जाते हैं। लोकसभा चुनाव के समय जब पत्रकारों ने विजयवर्गीय से पूछा था कि वे कहां से चुनाव लड़ना चाहते हैं तो उन्होंने भोपाल से सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी, हालांकि बाद में उन्होंने बंगाल की व्यस्तताओं के कारण लोकसभा चुनाव लड़ने से ही इनकार कर दिया था।
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