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नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज 144 याचिकाएं सुनवाई की सूची में हैं


नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज 144 याचिकाएं सुनवाई की सूची में हैं. ज़्यादातर याचिकाओं में CAA का विरोध किया गया है. 17 दिसंबर को हुई पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कानून पर रोक लगाने से मना किया था. कोर्ट ने सरकार से याचिकाओं पर जवाब मांगते हुए कहा था कि जनवरी में मामले की विस्तार से सुनवाई होगी तभी कोई आदेश दिया जाएगा.


आज इस मामले में चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े, एस अब्दुल नज़ीर और संजीव खन्ना के सामने जो याचिकाएं सुनवाई के लिए लगी हैं, उनमें असम प्रदेश कांग्रेस, सीपीएम, कांग्रेस नेता जयराम रमेश, AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी, तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा, आरजेडी नेता मनोज झा, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिकाएं शामिल हैं. इसके अलावा केरल सरकार ने भी याचिका दाखिल की है. उस पर भी आज सुनवाई हो सकती है.


इन सभी याचिकाओं में संसद से पास नए कानून को संविधान के खिलाफ बताया गया है. इनमें कहा गया है कि अनुच्छेद 14 के तहत हर व्यक्ति को कानून की नजर में समानता का मौलिक अधिकार हासिल है. सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट इसका हनन करता है. यह कानून भारत के पड़ोसी देशों से हिंदू, बौद्ध, ईसाई, पारसी, सिख, जैन जैसे समुदाय के सताए हुए लोगों को नागरिकता देने की बात करता है. लेकिन इसमें जानबूझकर मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है. इस तरह का भेदभाव करने की भारत का संविधान इजाजत नहीं देता. इन याचिकाओं में यह मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट तुरंत इस कानून के अमल पर रोक लगा दे.


कानून पर तुरंत रोक की मांग करते हुए इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने यूपी में 40 हज़ार गैर-मुस्लिम अप्रवासियों की पहचान किए जाने का हवाला दिया है. याचिका में कहा गया है कि इन लोगों को नागरिकता देने की तैयारी चल रही है. कोर्ट कानून की वैधता पर सुनवाई तक ऐसा किए जाने पर रोक लगाए.


इसके अलावा कई याचिकाओं में NPR और NRC का भी मसला उठाया गया है. NRC पर पीएम और गृह मंत्री के बयानों में विरोधाभास होने की दलील देते हुए कोर्ट से सरकार से सफाई लेने की मांग की गई है. याचिकाकर्ता चाहते हैं कि कोर्ट सरकार से पूछे कि NPR, NRC की तैयारी के लिए तो नहीं किया जा रहा है. याचिकाओं में सरकार को NRC लाने से रोकने की भी मांग की गई है.


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