प्रतीकात्मक फोटो
जीएसटी परिषद ने मोबाइल फोन पर माल एवं सेवाकर (GST) दर को 18 प्रतिशत तक बढ़ाने का का फैसला किया है. बता दें कि इससे पहले मोबाइल फोन पर 12 प्रतिशत तक माल एवं सेवाकर लिया जाता था. वहीं इसमें 6 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी करते हुए अब इसे 18 प्रतिशत कर दिया गया है. ऐसा होने से अब खुदरा बाजार में मोबाइल के दाम बढ़ने की आशंका जताई जा रही है. ऐसे में इंडिया सेल्युलर एसोसिएशन ने इसे डिजिटल इंडिया के लिए हानिकारक कदम बताया है।
अगर स्मार्टफोन निर्माता इसे उपभोक्ताओं पर पारित करने का निर्णय लेते हैं, तो 1 अप्रैल से सभी स्मार्टफोन की कीमतों में वृद्धि होगी. अब तक मोबाइल फोन पर जीएसटी दर 12 प्रतिशत थी जबकि बैटरी पर 18 प्रतिशत कर लगाया गया था. इंडिया सेल्युलर एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज मोहिन्द्रू ने कहा है कि जीएसटी में 6 प्रतिशत की वृद्धि का कदम 'डिजिटल इंडिया के दृष्टिकोण के लिए बेहद हानिकारक' होगा. उन्होंने कहा कि ऐसा होने से बाजार में बिक्री कम हो जाएगी. उनका कहना है कि ऐसा होने से कम से कम 2 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.
इस बीच, शाओमी इंडिया के एमडी मनु कुमार जैन का कहना है कि इस कदम से उद्योग में काफी बड़ी गिरावट आ सकती है. शाओमी भारत का सबसे बड़ा स्मार्टफोन विक्रेता है और स्थानीय स्तर पर इसकी अधिकांश इकाइयां हैं. जैन ने ट्वीट करते हुए कहा कि स्मार्टफोन उद्योग पहले से ही डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए को हो रहे नुकसान की समस्या से जूझ रहा है. इसके साथ ही उन्होंने एक दूसरा ट्वीट करते हुए भारत के वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बढ़ोत्तरी पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया.
शीर्ष स्मार्टफोन ब्रांडों का प्रतिनिधित्व करने वाले भारतीय सेलुलर एसोसिएशन ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिख कर यह दर 12 प्रतिशत पर बनाए रखने के लिए आग्रह किया था. मोहेंद्रू ने पत्र में कहा था कि कोरोना वायरस के कारण मोबाइल आपूर्ति श्रृंखला में गंभीर गिरावट आने से काफी नुकसान हुआ है. उनका कहना था कि मोबाइल फोन पर जीएसटी दर में किसी भी प्रकार की बढ़ोतरी पर विचार करने के लिए यह सबसे अनुचित समय है.
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