कोरोनो वायरस (कोविड-19) की वजह से देश में करोड़ों लोगों को आर्थिक मोर्चे पर दिक्कत हो रही है और इसके चलते 25 मार्च से देश में लॉकडाउन लागू है. नौकरीपेशा वर्ग भी इस लॉकडाउन के असर से पैसे के लिए परेशान हो रहा है. ऐसे में श्रम मंत्रालय ने बड़ा फैसला लिया है और छह करोड़ ईपीएफ (एंप्लाई प्रोविडेंट फंड) सब्सक्राइबर्स के लिए राहत के कदम का एलान किया है.
श्रम मंत्रालय ने कहा है कि देश के 6 करोड़ ईपीएफ सब्सक्राइबर्स कुछ शर्तों के साथ अपनी प्रॉविडेंट फंड खाते से पैसा निकाल सकते हैं. इसके तहत तीन महीने की बेसिक सैलरी या महंगाई भत्ता या ईपीएफ खाते में जमा राशि की तीन चौथाई या 75 फीसदी राशि से ज्यादा रकम नहीं निकाल सकते हैं. इन दोनों में मानकों में से जो भी कम होगा उतनी राशि ईपीएफ अंशधारक निकाल सकते हैं.
श्रम मंत्रालय ने बयान जारी करके बताया था कि मंत्रालय ने कर्मचारी भविष्य निधि योजना 1952 में संशोधन से जुड़ा नोटिफिकेशन 28 मार्च को जारी कर दिया है. इस नोटिफिकेशन को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पिछले हफ्ते लिए गए फैसले के तहत लागू किया गया है.
क्या है नोटिफिकेशन में
श्रम मंत्रालय के मुताबिक कर्मचारियों को तीन महीने की बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता या ईपीएफ खाते में पड़ी 75 फीसदी राशि जो भी कम हो, उसे निकालने की अनुमति दी गई है. इस रकम को लौटाने की जरूरत नहीं होगी यानी ये नॉन-रिफंडेबल रकम होगी. रिवाइज्ड कर्मचारी भविष्य निधि कोष संशोधन स्कीम को 28 मार्च 2020 से लागू किया जा चुका है.
कोरोना वायरस की महामारी के चलते करोड़ों नौकरीपेशा लोगों के सामने आजीविका के संकट को देखते हुए ये फैसला लिया गया है. इसके लिए श्रम मंत्रालय ने ईपीएफ योजना 1952 के अनुच्छेद 68एल में एक सब-पैरा (तीन) जोड़ा है.
EPFO ने आदेश दिए हैं कि किसी सदस्य की ओर से रकम निकासी का आवेदन मिलने पर उसकी प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी किया जाए ताकि इस मुश्किल समय में कर्मचारियों को दिक्कत न हो.
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