नई दिल्ली: निजी क्षेत्र के बैंक यस बैंक की हालत खराब हो गई है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा यस बैंक पर पाबंदी लगाए जाने के बाद बैंक के परेशान जमाकर्ताओं को एटीएम से पैसा निकालने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. लंबी कतारों में खड़े जमाकर्ताओं को कहीं मशीनें बंद पड़ी मिलीं तो कहीं एटीएम में पैसा नहीं था. वहीं मुसीबत और बढ़ गई जब उन्हें इंटरनेट बैंकिंग प्रणाली के माध्यम से धन स्थानांतरित करने में भी असुविधा झेलनी पड़ी. निजी क्षेत्र के यस बैंक के ग्राहकों के लिए परेशान करने वाली ख़बर है. आरबीआई ने यस बैंक के बोर्ड को भंग करते हुए उस पर प्रशासक नियुक्त कर दिया है. इसके साथ ही बैंक के जमाकर्ताओं पर निकासी की सीमा सहित इस बैंक के कारोबार पर कई तरह की पाबंदिया लगा दी गयी हैं. केंद्रीय बैंक ने अगले आदेश तक बैंक के ग्राहकों के लिए निकासी की सीमा 50,000 रुपये तय की है. बैंक का नियंत्रण भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में वित्तीय संस्थानों के एक समूह के हाथ में देने की तैयारी की गयी है.
- यस बैंक के ग्राहक 1 महीने तक सिर्फ 50 हजार रुपये ही अपने खाते से निकाल सकेंगे.
- रकम निकासी की शर्तें ये भी हैं कि अगर किसी ग्राहक के एक से ज़्यादा अकाउंट हैं, तो भी वो सभी खातों को मिलाकर सिर्फ़ 50 हज़ार रुपए निकाल पाएगा.
- पाबंदी 5 मार्च यानी गुरुवार से शुरू हुई है जो 3 अप्रैल तक जारी रहेगी.
- इस दरमियान बैंक के बोर्ड पर RBI का कब्ज़ा रहेगा. केंद्रीय बैंक ने सरकार से विचार-विमर्श के बाद ये फ़ैसला लिया है...
- लंबे समय से यस बैंक की माली हालत ख़राब है और बैंक पिछले काफ़ी समय से फ़ंड जुटाने की कोशिश कर रहा था.
- बैंक पर कर्ज बढ़ता जा रहा है तो वहीं शेयर भी टूट रहा है. यस बैंक की बदहाली इतनी बढ़ गई है कि सिर्फ 15 महीने के भीतर बैंक के निवेशकों को 90 फीसदी से अधिक का नुकसान हो गया है.
- आरबीआई ने देर शाम जारी बयान में कहा कि येस बैंक के निदेशक मंडल को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया गया है और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) प्रशांत कुमार को येस बैंक का प्रशासक नियुक्त किया गया है.
- इससे करीब छह माह पहले रिजर्व बैंक ने बड़ा घोटाला सामने आने के बाद शहर के सहकारी बैंक पीएमसी बैंक के मामले में भी इसी तरह का कदम उठाया गया था. यस बैंक काफी समय से डूबे कर्ज की समस्या से जूझ रहा है. इससे पहले दिन में सरकार ने एसबीआई और अन्य वित्तीय संस्थानों को येस बैंक को उबारने की अनुमति दी थी.
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