कोरोना वायरस की महामारी से बने आर्थिक असर से लड़ने के लिए दुनियाभर की सरकारों और केंद्रीय बैंकों ने काफी कोशिशें की हैं. अब तक दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों और सरकारों ने आर्थिक राहत पैकेज और अन्य उपायों के जरिए करीब 14 लाख करोड़ डॉलर के पैकेज जारी किए हैं. इसे भारतीय रुपये में देखें तो ये करीब 1071 लाख करोड़ रुपये बैठते हैं.अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने इस बात की जानकारी दी है. आईएमएफ चीफ क्रिस्टालीना जॉर्जीवा ने बताया है कि कोरोना वायरस का संक्रमण दुनियाभर के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती के तौर पर आया है और जिन देशों में कमजोर स्वास्थ्य सिस्टम हैं वहां इस महामारी का भीषण असर देखने को मिल सकता है.
सरकारों और केंद्रीय बैंकों ने जारी की अलग-अलग राहत राशि
आईएमएफ के मुताबिक मिली जानकारी के अनुसार दुनियाभर के अलग-अलग देशों की सरकारों ने कोरोनो वायरस के असर से निपटने के लिए अब तक करीब 8 लाख करोड़ डॉलर की मदद आर्थिक पैकेज जा वित्तीय सहायता के रूप में जारी की हैं. इसके अलावा विश्व के केंद्रीय बैंकों ने इस महामारी के आर्थिक स्थिति पर पड़ने वाले असर को देखते हुए अब तक करीब 6 लाख करोड़ डॉलर के आर्थिक राहत पैकेज को जारी किया है.
भारत सरकार ने भी जारी किया आर्थिक राहत पैकेज
भारत सरकार की ओर से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 27 मार्च 2020 को 1.70 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का एलान किया था और इसके तहत देश के गरीबों, दिव्यांगों, बुजुर्गों, महिलाओं, दिहाड़ी मजदूरों और छोटे कामगारों, किसानों को राहत पहुंचाने की प्रतिबद्धता दोहराई थी. इसके बाद बीते शुक्रवार यानी
18 अप्रैल को देश के केंद्रीय बैंक आरबीआई ने करीब 1 लाख करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता अलग अलग मदों के जरिए पहुंचाने के लिए एलान किए.
एशिया की आर्थिक विकास दर शून्य रहने की आशंका-आईएमएफ
इस साल एशिया की आर्थिक वृद्धि दर कोरोना वायरस महामारी के कारण शून्य रह सकती है. यदि ऐसा हुआ तो यह पिछले 60 साल का सबसे बुरा प्रदर्शन होगा. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने यह आशंका व्यक्त करते हुए हालांकि ये भी कहा है कि गतिविधियों के संदर्भ में अन्य क्षेत्रों की तुलना में अभी भी एशिया बेहतर स्थिति में दिख रहा है. वहीं इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था में तीन प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है.
अमेरिका, चीन व यूरोप की स्थिति का अनुमान
आईएमएफ के मुताबिक एशिया के दो बड़े व्यापारिक भागीदार अमेरिका और यूरोप में क्रमश: 6 फीसदी और 6.6 फीसदी की गिरावट के अनुमान हैं. इस साल चीन की आर्थिक वृद्धि दर भी 2019 के 6.1 फीसदी से गिरकर 1.2 फीसदी पर आ जाने की आशंका है.
0 टिप्पणियाँ