प्रतीकात्मक तस्वीर)
भारत में आपने देखा कि शराब की दुकानें खुलते ही कैसी भीड़ लग गई. लेकिन शराब की दुकानें सिर्फ भारत में नहीं खुलीं और भी देशों में खुली हैं. कोरोना के खतरे के बीच ही सर्बिया ने बार में शराब परोसने की अनुमति दे दी है. साफ है कि दुनिया के देश शराब बंदी करने का खतरा नहीं उठा पा रहे. तमाम नुकसान के बाद भी ऐसा क्यों है? क्यों सरकारें ऐसा कर रही हैं, ये हम आपको बता रहे हैं.
सर्बिया में होटलों के बाहर भी शराब परोसी जाती है. लॉकडाउन में ये सिलसिला बंद हो गया था पर अब फिर से शुरू कर दिया गया है. इसकी वजह भी साफ है कि वहां में शराब की खपत 11.8 लीटर प्रतिवर्ष है. इससे अच्छा खासा राजस्व सर्बिया सरकार को प्राप्त होता है.
बता दें कि दुनिया भर में शराब से सालाना 102 लाख करोड़ का राजस्व सरकारों को प्राप्त होता है. ये हर साल 3.5% की दर से आगे बढ़ रहा है. अमेरिका में सबसे ज्यादा 16 लाख करोड़ का राजस्व प्राप्त होता है. आंकड़ों के मुताबिक शराब से 13748 रुपये प्रतिव्यक्ति का राजस्व प्राप्त होता है.
अब भला कौन सी सरकार चाहेगी कि उसका राजस्व कम हो. खासकर जब कोरोना काल में उद्योग धंधे बंद पड़े हों और नौकरियां लगातार जा रही हों. लोगों के लिए भी शराब मुसीबत को भूलने का तत्कालीन जरिया बना जाती है.
दुनिया में प्रति व्यक्ति 6.4 लीटर शराब की खपत है. ब्रिटेन के आंकड़े देखें तो शराब से ब्रिटेन में 770000 नौकरियां पैदा होती हैं जो कुल नौकरियों का 2.5 फीसदी है. यानी शराब से ना सिर्फ सरकारों की कमाई होती है बल्कि शराब के कारोबार से नौकरियां भी पैदा होती हैं. लेकिन इससे ये सच छिप नहीं सकता कि शराब स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. दुनिया भर में शराब से सालाना 28 लाख मौतें भी होती हैं. यही वजह है कि सरकारें सब जानते हुए भी शराब की बिक्री करती हैं बल्कि उससे होने वाला नुकसान भी उठाती हैं.
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