कोलकाता. सुपर साइक्लोन अम्फान ने पश्चिम बंगाल के कई हिस्सों में तबाही मचा दी. कोलकाता की शान और दुनिया के सबसे विशालतम बरगद का पेड़ भी इसकी चपेट में आ गया है. खतरनाक तूफान में इसकी कई जड़ें उखड़ गई हैं. हावड़ा के आचार्य जगदीशचंद्र बोस इंडियन बोटेनिक गार्डन में लगा ये बरगद का पेड़ 270 साल पुराना है. 4.67 एकड़ में फैले इस पेड़ को देखने के लिए लोग दूर-दूर आते थे.
खत्म हो गई कोलकाता की शान!
पेड़ की जड़ें उखड़ने के चलते उत्तर पश्चिम भाग खाली-खाली दिख रहा है. अंग्रेजी अखबार टेलीग्राफ से बातचीत करते हुए सीनियर साइंटिस्ट बसंत कुमार ने कहा कि बरगद के इस पेड़ की पहचान लगभग खत्म हो गई है. उन्होंने ये भी कहा कि नुकसान का सही-सही अंदाजा एक दो दिनों के बाद पता लगेगा. हाल के दिनों में आइला, फानी और बुलबुल जैसे तूफानों से इसे नुकसान नहीं पहुंचा था. लेकिन अम्फान से बरगद के इस पुराने पेड़ को भारी नुकसान हुआ है. इससे पहले 19वीं सदी के आखिए में आए तूफान ने इसके कई शाखाओं को नुकसान पहुंचाया था.
भारी नुकसान
पादप समुदाय में सबसे अधिक 1.08 किलोमीटर की परिधि वाले इस बरगद के पेड़ का मुख्य तना, जिसकी परिधि 15 मीटर थी, 1925 में निकाल दिया गया था. ये पूरा पेड़ अब शाखाओं से निकलकर धरती पकड़ने वाली इसकी जड़ों पर टिका है. अब अम्फान ने इसका घनत्व काफी घटा गया है. तस्वीरों में इस पेड़ का अंदर का भाग काफी खाली दिखाई पड़ रहा है. इस पेड़ को भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण ने अपना प्रतीक चिह्न बनाया हुआ है.
क्या है इस गार्डेैन की खासियत
अक्टूबर 2006 से फरवरी 2012 तक जगदीश चंद्र बोस इंडियन बोटेनिकल गार्डन में वैज्ञानिक रहे डा शिव कुमार के मुताबिक इस बोटेनिकल गार्डन में 1200-1400 किस्म के 14,000 पेड़ हैं. उन्होंने कहा, इनमें कई देशी-विदेशी वृक्ष हैं जिन्हें अंग्रेजों ने अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए यहां लगाया था और खासकर, महोगनी को यहां लाने के पीछे उनका मकसद उसकी लकड़ी का इस्तेमाल पानी के जहाज बनाने में होना था. छह साल इस गार्डन में सेवाएं देने वाले डा. कुमार ने कहा कि कल आए समुद्री तूफान से इस गार्डन को हुए नुकसान की एक बड़ी वजह इस गार्डन के तीन ओर से पक्के निर्माण से घिरे हुए होना है.
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