नई दिल्ली. लॉकडाउन के चलते रोजगार खो चुके और वापस अपने गृह राज्य पहुंच चुके प्रवासी मजदूरों को भारतीय रेलवे ने रोजगार देने का ऐलान किया है. रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के तहत रेलवे 1,800 करोड़ रुपये का निवेश कर 31 अक्टूबर तक यानी 125 दिनों के लिए इन प्रवासी मजदूरों को काम देगा. रेलवे मिनिस्टर पीयूष गोयल ने यह निर्णय उस मीटिंग में लिया जिसमें तमाम रेलवे जोन और रेलवे पीएसयू अधिकारियों ने भाग लिया था. इस बैठक में पीएम मोदी की गरीब कल्याण रोजगार अभियान की समीक्षा की जा रही थी. 6 राज्यों के 116 जिलों के मजदूरों को इस योजना के तहत काम दिया जाएगा.
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर कहा, 'पीएम मोदी की गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत करीब 9 लाख प्रवासी कामगारों को रोजगार देने के लिए रेलवे ने 160 परियोजनाओं की पहचान की है.'
हर निर्धारित जिले में एक नोडल ऑफिसर की नियुक्ति- इस मीटिंग में रेलवे बोर्ड के चैयरमेन विनोद कुमार यादव ने जोनल रेलवे को निर्देश दिया कि हर निर्धारित जिले में एक नोडल ऑफिसर की नियुक्ति की जाए, जो प्रवासी मजदूरों को रोजगार सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार के साथ मिलकर काम करे. रेलवे ने ऐसे काई काम हैं जिनकी पहचान की है जिसमें मनरेगा के तहत बड़ी संख्या में रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता है.
परियोजना में ये काम हैं शामिल- इस परियोजना के तहत दी जानें वाले कामों में रेलवे से जुड़े संपर्क मार्गो का रख रखाव, रेलवे क्रॉसिंग से जुड़े काम, वाटरबेस और ड्रेन की साफ-सफाई और निर्माण जैसे काम शामिल हैं.
116 जिलों के मजदूरों को मिल सकेगा काम- मंत्रालय ने कहा कि उसने 6 राज्यों कि 116 जिलों में गरीब कल्याण योजना अभियान के प्रोग्रेस की समीक्षा की है. ये राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओड़िशा और झारखंड हैं. पिछले शनिवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोजगार एवं ग्रामीण लोक सेवा कैंपेन का ऐलान किया था, जिसका नाम 'गरीब कल्याण रोजगार अभियान' रखा गया था.
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