भोपाल. मध्य प्रदेश में सरकार और ठेकेदारों के बीच जारी विवाद के बाद अब लगता है होमगार्ड्स शराब बेचेंगे. मध्यप्रदेश में 70 फीसदी ठेकेदारों के शराब दुकान के ठेके सरेंडर करने के बाद आबकारी विभाग को दूसरे विभागों को मदद की दरकार है. विभाग ने प्रदेश में शराब की दुकानें चलाने के लिए होमगार्ड्स से मदद मांगी है.इस संबंध में आबकारी आयुक्त राजीव चंद दुबे ने डीजी होमगार्ड को चिट्ठी लिखी है.
आबकारी आयुक्त राजीब चंद दुबे ने पत्र में लिखा है कि शराब दुकानें फिर से खोलने में 15 दिन से लेकर 1 महीने का समय लग सकता है. इसलिए तब तक रेवेन्यु के लिए करीब एक हजार दुकानें विभाग को खुद चलानी पड़ेंगी. इतनी बड़ी संख्या में दुकानें चलाना विभाग के लिए संभव नहीं है क्योंकि हमारे पास इतना अमला ही नहीं है. जो स्टाफ हमारे पास है उसकी ड्यूटी अवैध शराब की बिक्री रोकने में लगायी हुई है. ऐसे हालात में होमगार्ड्स की मदद से दुकानें खोली जा सकती हैं.
4 हजार होमगार्ड्स मांगे
आबकारी आयुक्त ने डीजी होमगार्ड को जिलेवार लिस्ट दी है कि कहां कितनी दुकानें खोली जाना है और वहां कितने जवानों की ज़रूरत पड़ेगी. इस सूची के मुताबिक प्रदेश भर में शराब दुकानों के लिए 4000 होमगार्ड जवान मांगे गए हैं. अलग-अलग जिलों के हिसाब से अलग-अलग ज़रूरत है. आबकारी विभाग का मानना है सुरक्षा के लिहाज से जवानों का वर्दी में होना जरूरी है.आबकारी विभाग का अमला अवैध शराब की बिक्री कंट्रोल करने में मदद करेगा.
अभी नहीं मिला जवाब
हालांकि आबकारी आयुक्त की इस चिट्ठी का अभी डीजी होमगार्ड ने जवाब नहीं दिया है. अब होमगार्ड मुख्यालय पर निर्भर करता है कि वो अपने जवानों की ड्यूटी शराब बेचने में लगाता है या नहीं.
70% ठेके सरेंडर
मध्य प्रदेश के 70 प्रतिशत शराब ठेकेदार सरकार की नई शराब नीति से संतुष्ट नहीं है. वो अपने ठेके सरेंडर कर चुके हैं. 30 प्रतिशत ठेकेदार ही सरकार के साथ हैं. 70 प्रतिशत शराब ठेकेदारों के सरेंडर करने से करीब 7000 करोड़ के आबकारी ठेके सरेंडर हो गए हैं.
सभी बड़े शहरों में ठेके सरेंडर
हाईकोर्ट से अंतरिम आदेश आने के बाद शराब ठेकेदारों ने दुकानें सरेंडर करना शुरू कर दिया था. भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर में ठेकेदारों ने शराब दुकान सरकार को सौंप दी हैं. आबकारी विभाग को इस संबंध में शपथ पत्र भी उन्होंने दे दिए हैं.हाईकोर्ट ने ठेकेदारों को स्थिति स्पष्ट करने के लिए तीन दिन का मौका दिया था. लेकिन जबलपुर, ग्वालियर, इंदौर, भोपाल, मंदसौर, नीमच, रतलाम, उज्जैन, देवास, छिंदवाड़ा, कटनी, रीवा आदि शहरों के ठेकेदारों ने शपथ पत्र सौंप दिए. इन्हीं शहरों से 70 फीसदी राजस्व आता है.
ये है स्थिति...
-शराब ठेकेदारों ने 10460 करोड़ में से 7200 करोड़ की दुकानें छोड़ दी हैं.
- प्रदेश में कुल टेंडर 10460 करोड़ रुपए के हुए.
-सिर्फ 30 से 33 प्रतिशत ठेकेदार ही दुकान चलाएंगे.
-चार बड़े शहर भोपाल, इंदौर, ग्वालियर,जबलपुर में 3 हजार करोड़ की कुल दुकानें हैं
-प्रदेश में देसी शराब की 2544 और विदेशी शराब की 1061 दुकानें हैं.
-सरकार को मार्च में 653 करोड़,अप्रैल में 1029 करोड़, मई में 900 करोड़ का नुकसान हुआ.
-33 फीसदी दुकानों का राजस्व ही खजाने में आया.
-अब सरकार नये सिरे से टेंडर जारी कर दुकानें नीलाम करने की तैयारी में है.
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