बीजिंग. चीन में कोरोना संक्रमण से संबंधित खुलास करने वाली डॉक्टर्स की टीम में शामिल रहे छठे डॉक्टर हू वीफेन्ग की भी कोरोना संक्रमण से मौत हो गयी है. हू वीफेन्ग चीन के वुहान सेंट्रल अस्पताल में बतौर यूरोलॉजिस्ट काम कर रहे थे और कोरोना के बारे में सबसे पहले चेतावनी देने वाले व्हिसलब्लोअर डॉक्टर ली वेनलियान्ग की टीम का हिस्सा थे. चीनी मीडिया से मिली जानकारी के मुताबिक, हू वीफेन्ग बीते चार महीने से संक्रमण से जूझ रहे थे. हालांकि बीते दिनों खबर आई थी कि अब उनकी हालत ठीक है और उनका वेंटिलेटर हटा दिया गया है.
डॉक्टर हू वीफेन्ग की मौत के बार वहां लोग प्रशासन की आलोचना कर रहे हैं. वे जनवरी में कोरोना संक्रमित पाए गए थे और कोरोना के कारण मरने वाले अस्पताल के छठे डॉक्टर हैं. जिस अस्पताल में हू वीफेन्ग काम करते थे वहां बीते साल दिसंबर में कोरोना के बारे में सबसे पहले चेतावनी देने वाले डॉक्टर ली वेनलियान्ग भी काम करते थे. कोरोना के बारे में चेतावनी देने पर प्रशासन ने ली वेनलियान्ग को अपना मुंह बंद रखने के लिए कहा था. बाद में ली वेनलियान्ग ने अस्पताल से एक वीडियो के ज़रिए अपनी कहानी पोस्ट की थी.
हू वीफेन्ग की त्वचा का रंग काला पड़ गया था
बता दें कि इलाज के दौरान लीवर के काम करने में गड़बड़ी के कारण उनकी त्वचा का रंग काला पड़ गया था. चीन में वो और उनके साथी कर्डियोलॉजिस्ट यी फैन को 'काले चेहरों वाले वुहान के डॉक्टर' कहा जाने लगा था. कई लोग कोरोना के ख़िलाफ़ उनकी जंग के लिए उन्हें हीरो की तरह देखने लगे थे. हू वीफेन्ग क मौत के बारे में अधिक जानकारी साझा नहीं की गई है उनकी मौत के बाद लेकिन सोशल मीडिया पर लोग कोरोना महामारी से निपटने की चीनी सरकारी की कोशिशों की आलोचना कर रहे हैं.
चीनी मीडिया के मुताबिक, करीब एक महीने से अधिक वक्त तक आईसीयू में इलाज होने के बाद हू वीफेंग की मौत हो गई. कोरोना वायरस से बीमार होने के बाद उनके शरीर में अन्य दिक्कतें भी बढ़ गई थीं. इससे पहले वुहान सेंट्रल हॉस्पिटल के एक प्रवक्ता ने कहा था कि एंटीबायोटिक्स के अधिक इस्तेमाल की वजह से उनकी स्किन काली हुई. मीडिया में हू वीफेंग की तस्वीर सामने आई थी जिसमें उनकी स्किन के बदले रंग को दिखाया गया था. इसके बाद वीफेंग के केस ने दुनियाभर का ध्यान खींचा. हलांकि, हू वीफेंग के सहयोगी डॉक्टर यी फान की स्किन भी काली पड़ गई थी, लेकिन वे ठीक हो गए.
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