भोपाल.गेहूं खरीद के मामले में मध्य प्रदेश नंबर वन हो गया है. उसने गेहूं उत्पादन में अव्वल रहने वाले पंजाब जैसे राज्य को पीछे छोड़ दिया. ये काम आसान नहीं था और वो भी लॉक डाउन और कोरोना संक्रमण के इस दौर में. ये संभव हो पाया बेहतरीन मैनेजमेंट और किसानों की मेहनत के कारण. एमपी में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण इसकी सरकारी खरीद किसी चुनौती से कम नहीं थी. यहां जानिए मध्य प्रदेश इस मुकाम तक कैसे पहुंच पाया.
बेमौसम बारिश पाला, बाढ़ और मुश्किल हालात भी मध्य प्रदेश के अन्नदाता को डिगा नहीं पाए. मध्य प्रदेश में इस बार गेहूं का ज़ोरदार उत्पादन हुआ और उसकी रिकॉर्ड सरकारी खरीद हुई. गेहूं खरीद के मामले में प्रदेश पूरे देश में नंबर वन हो गया है. उसने पंजाब तक को पीछे छोड़ दिया है. खास बात यह है कि मध्य प्रदेश में इस बार जितना गेहूं खरीदा गया वो पिछले साल के मुकाबले 74 फ़ीसदी से भी ज्यादा है. मध्यप्रदेश में अभी तक 1 करोड़ 27 लाख 67 हजार 628 मीट्रिक टन गेहूं का उपार्जन किया गया है जो पूरे देश का 33 प्रतिशत है.
पंजाब को पछाड़ा
पूरे देश में 3 करोड़ 86 लाख 54 हजार मीट्रिक टन गेहूं की सरकारी खरीद की गयी. इस मामले में एमपी ने पंजाब को दूसरे नंबर पर धकेल दिया है. पिछले साल की तुलना में मध्यप्रदेश में गेहूं उपार्जन में 74 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. पिछले साल मध्यप्रदेश में 73.69 लाख मीट्रिक टन गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदा गया था. मध्य प्रदेश में इस बार 15 अप्रैल से गेहूं की सरकारी खरीद शुरू हुई थी जो 5 जून को खत्म हुई. गेहूं का ज़्यादा उत्पादन होने के कारण इस बार खरीद केन्द्र भी 3 हजार 545 से बढ़ाकर 4 हजार 529 कर दी गयी है.
सीएम ने की रिकॉर्ड बैठक
इस बार एमपी में गेंहूं की बंपर पैदावार हुई थी लिहाजा गेंहू उपार्जन करना भी एक बड़ी चुनौती थी.सीएम शिवराज ने गेहूं खरीद में मैनेजमेंट को प्राथमिकता दी. 23 मार्च से अब तक लगातार 75 बैठकें कर डालीं. सीएम ने हर रोज खरीद की समीक्षा की. उपार्जन में नंबर 1 आने पर सीएम ने इस उपलब्धि के लिए खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की टीम और प्रदेश के किसानों को बधाई दी है.
लॉक डाउन में विशेष इंतजाम
इस बार गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीद ऐसे वक्त में शुरू की गयी थी. जब प्रदेश कोरोना महामारी की चपेट में था और देशभर में लॉक डाउन लागू था. सरकार ने किसानों के लिए एहतियात के तौर पर कुछ नियम जारी किए और केवल उन्हीं किसानों को खरीदी के लिए बुलाया गया जिन्हें मैसेज भेजे गए थे. एक बार में एक पाली में 10 से 12 किसानों को ही खरीदी के लिए बुलाया गया था. मंडी में सोशल डिस्टेंस और सेनेटाइजर की व्यवस्था की गयी. किसानों को मंडी आने की जानकारी देने के लिए 75 लाख एसएमएस भेजे गए. राज्य सरकार ने गेहूं खरीद की राशि सीधे किसानों के खातों में औसतन 7 दिन में भेजी. सरकार का कहना है अभी तक 14 लाख 19 हजार किसनों के खातों में 20 हजार 253 करोड़ की राशि भेजी जा चुकी है.
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