जबलपुर.शराब ठेकेदारों की याचिका पर सुनवाई करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने एक अहम अंतरिम आदेश जारी किया है.हाईकोर्ट ने दो विकल्प दिए हैं. जिन ठेकेदारों को सरकारी की नीति मंज़ूर है वो अपनी दुकानें खोल सकते हैं. जिन्हें ये मंज़ूर नहीं वो अपनी दुकान सरेंडर कर सकते हैं. ऐसे ठेकेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. सरेंडर की गयी दुकानों का नये सिरे से टेंडर कराने का आदेश कोर्ट ने दिया है. ठेकेदारों को तीन दिन का समय दिया गया है.अब उन्हें तय करना है कि उन्हें सरकार का फैसला मंज़ूर है या नहीं.
तीन दिन में देना होगा शपथ पत्र
हाईकोर्ट ने कहा जिन शराब ठेकेदारों को राज्य सरकार की संशोधित शराब नीति मंजूर है वो तीन दिन के अंदर सरकार को अपनी लिखित मंजूरी देकर शराब कारोबार जारी रख सकते हैं. लेकिन जिन ठेकेदारों को संशोधित नीति पर ऐतराज है उन पर सरकार कोई कार्रवाई नहीं करेगी. हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश में साफ किया है कि जिन शराब ठेकेदारों को शराब नीति पर आपत्ति है वो अपनी शराब दुकानें सरेंडर कर सकेंगे और ऐसे ठेकेदारों पर राज्य सरकार वसूली की कोई कार्रवाई नहीं करेगी.
जिन्हें नीति नामंजूर , वहां होगा रिटेंडर
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वो सरेंडर होने वाली शराब दुकानों का नए सिरे से टेंडर करे.हाईकोर्ट ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 17 जून की तारीख तय की है.
ये है मसला
शराब ठेकेदारों ने कोरोना लॉक डाउन में हुए घाटे का हवाला देकर हाईकोर्ट में ये याचिका दायर की थी.ठेकेदारों ने लॉक डाउन अवधि में हुए नुकसान की भरपाई करने, ठेके के वक्त जमा करवाई गई बिड राशि घटाने या पूरे ठेके नए सिरे से जारी करने की मांग की थी. शराब ठेकेदारों ने राज्य सरकार की आबकारी नीति में किए गए उस संशोधन को भी चुनौती दी है जिसमें सरकार ने किसी शराब ठेकेदार का लायरेंस रद्द होने पर उसे ब्लैकलिस्ट करने और उसे किसी दूसरे जिले के टेंडर में हिस्सा शामिल न करने प्रावधान किया है.फिलहाल जबलपुर हाईकोर्ट ने शराब ठेकेदारों को विकल्प चुनने की आजादी देते हुए सरेंडर करने वाले ठेकेदारों पर कार्रवाई न करने का आदेश दिया है. इन दुकानों के नये टेंडर जारी करने का आदेश दिया है. मामले पर अगली सुनवाई 17 जून को होगी.
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