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कोरोना वायरस लॉकडाउन जब हटेगा तो हम लाइफ को कैसे बैलेंस कर पाएंगे जानें...


कोरोना महामारी (Covid 19) से बचाव के क्रम में हमारी दिनचर्या में बड़े पैमाने पर बदलाव हुए हैं. यही वजह है कि हमारी सामाजिक आदतों और हमारे रिश्तों में काफी बदलाव देखे जा रहे हैं. अब इन बदलावों का प्रभाव लॉकडाउन के बाद की जीवनशैली पर भी देखने को मिलेगा. लॉकडाउन  के चलते तेज रफ्तार से भागता मानव जीवन मानो थम सा गया हो. लोगों ने काम करना बंद कर दिया, कार्यालय, जिम, पब, क्लब और रेस्तरां बंद हो गए, और वैश्विक यात्रा बंद हो गई. घर पर रहना ही लोगों के लिए मात्र एक विकल्प रह गया है. ऐसे में लोग बोर्ड गेम, पजल, बागवानी, बेकिंग आदि से अपना मन बहला रहे हैं. अब जब हम धीरे-धीरे लॉकडाउन की स्थिति से उभर रहे हैं, तो हर किसी के मन में यह कसक उठ रही है कि क्या हम दोबारा अपनी भागती दौड़ती पुरानी जिंदगी को वापस अपना पाएंगे या फिर धीमी पड़ी जिंदगी का आनंद लेकर जीवन की गति को सामान्य ही बनाए रखेंगे?
1. लॉकडाउन के दौरान, हम सभी को अपने परिजनों के करीब रहने का मौका मिला जिस कारण हमें सामान्य रफ्तार वाले जीवन से काफी कुछ सीखने को मिला. लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी कोशिश यही रहनी चाहिए कि हम जीवन को ऐसे ही जारी रखें, क्योंकि न केवल इससे हमें भौतिक लाभ होगा अपितु धीमी गति से आगे बढ़ने से शरीर और मन के बीच भी एक मजबूत संबंध स्थापित होगा, जिससे धीरे-धीरे हमारी मानसिक अवधारणा का विस्तार भी होगा. इसका सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि हम ऐसे मानसिकता का विकास कर पाएंगे जिससे हमें तुरंत प्रतिक्रिया देने की बजाय सोचने और समझने का ज्यादा वक्त मिल सकेगा.
2. यह कहना एकदम गलत नहीं होगा कि लॉकडाउन के वक्त हम काफी हद तक तकनीक पर निर्भर रहे, फिर चाहे वजह काम हो या अपने प्रियजनों के साथ संपर्क में रहना, चाहे अपने दोस्तों के साथ समय बिताना या अपने जीवनसाथी के साथ फिल्म देखना, हर स्थिति में तकनीक हमारे रिश्तों को मधुर बनाने में अहम रहा है. उदाहरण के तौर पर, वॉट्सऐप के जरिए हम अपने पड़ोस से जुड़े रहे जिससे हमें जरुरतमंद लोगों की जानकारी लगातार मिलती रही. इससे हमें अपने पड़ोस, समाज से जमीनी स्तर पर जुड़े रहने का भी मौका मिला. इतना ही नहीं हमें अपने समाज के प्रति जिम्मेदारियों का भी एहसास भी हुआ. इसका अर्थ यह है कि हमें पूरी तरह से प्रौद्योगिकी को छोड़ने की आवश्यकता नहीं है. हमें तकनीक पर नियंत्रण रखने के साथ-साथ अधिक से अधिक आमने-सामने संचार को स्थापित करने की भी जरुरत है, जिससे हम लोगों से अधिक जुड़े रह सकें.


3. लॉकडाउन के दौरान, जब हम सभी अपने घरों तक ही सीमित थे और हमारे पास सिर्फ सीमित संसाधन ही थे, तब हमें सिर्फ यह सुनिश्चित करना था कि, घर से कैसे काम किया जाए, खाने में क्या तैयार किया जाए और कहां और कब टहला जाए लेकिन अब जब धीरे-धीरे सभी रेस्टोरेंट, बार, होटल, दुकानें खुलने लगे हैं तब हमारे पास संसाधनों की सूची भी बढ़ गई है. ऐसे में हमें यह एकदम नहीं भूलना चाहिए कि लॉकडाउन के दौरान हमने कितने आराम से भोजन तैयार किया था और सही तरीके से उसका आनंद लिया था. आगे भी हमें भाग-दौड़ भरी इस जिंदगी में यह ख्याल रखना होगा कि हम काम के चक्कर में या जल्दबाजी में लॉकडाउन में बनाई आदतों को न भूलें. जीवन में हर चीज को उचित समय दें फिर चाहे वो काम हो या भोजन. दोनों को आपस में न मिलाएं और जीवन को सामान्य गति से जीयें और मनुष्य जीवन का भरपूर आनंद लें.



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