केंद्रीय कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने कहा है कि कोविड-19 महामारी से पैदा हुए संकट के दौरान भी देश के किसानों ने अपनी क्षमता का लोहा मनवाया है. इस वर्ष खरीफ बुवाई का क्षेत्र 316 लाख हेक्टेयर हो गया है. जो पिछले वर्ष 154 लाख हेक्टेयर था. पिछले पांच वर्षों के दौरान खरीफ क्षेत्र औसतन 187 लाख हेक्टेयर ही रहा है.
एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अग्रवाल ने कहा कि भारत को कृषि क्षेत्र से काफी लाभ मिल रहा है, जो सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 15 प्रतिशत है. देश की आबादी के 50 प्रतिशत से ज्यादा लोगों को आजीविका कृषि क्षेत्र से ही मिल रही है.
भारत देश कृषि रसायनों का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है, इसके पास विश्व की सबसे बड़ी पशुधन आबादी लगभग 31 फीसदी और सिंचाई के लिए सबसे बड़ा भूमि क्षेत्र उपलब्ध है. अग्रवाल ने कहा, हालांकि भारत में खाद्य प्रसंस्करण 10 परसेंट से भी कम होता है. इसे बढ़ाकर 25 फीसदी करने का लक्ष्य है.
कृषि सचिव ने कहा, किसानों को उनकी उपज के बेहतर कारोबार की सुविधा देते हुए इस क्षेत्र के प्रतिबंधात्मक कानूनों से मुक्त किया गया है. इसके लिए हाल ही में तीन नए अध्यादेशों की घोषणा की गई है.
कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए मोदी सरकार ने कई कदम उठाए हैं.
एक लाख करोड़ रुपये का एग्री इंफ्रा फंड, 10,000 एफपीओ के लिए योजना एवं 25 मिलियन नए किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड देने के विशेष अभियान से खेती-किसानी और आगे बढ़ेगी.
उधर, पशुपालन एवं डेयरी सचिव अतुल चतुर्वेदी ने कहा कि खुदरा विक्रेता के लिए दूध की तरह कोई भी उत्पाद तेजी से आगे नहीं बढ़ रहा. भारत में दूध की खपत प्रति व्यक्ति अभी भी केवल 394 ग्राम प्रतिदिन है जबकि अमेरिका और यूरोप में इसकी खपत 500-700 ग्राम प्रतिदिन होती है.
हमारा लक्ष्य डेयरी क्षेत्र में बाजार की वर्तमान मांग को 158 मिलियन मीट्रिक टन से बढ़ाकर अगले पांच वर्षों में 290 मिलियन मीट्रिक टन करना है. दुग्ध प्रसंस्करण में संगठित क्षेत्र की हिस्सेदारी को वर्तमान के 30-35 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
चतुर्वेदी ने कहा, अगले डेढ़ साल में लगभग 57 करोड़ मवेशियों को उनके अभिभावक, उनकी नस्ल एवं उत्पादकता का पता लगाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म पर यूनिक आईडी दी जाएगी.
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