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प्रधानमंत्री ने कहा कि गीता में भगवान कृष्ण ने योग की व्याख्या करते हुए कहा है-'योगः कर्मसु कौशलम्' अर्थात्, कर्म की कुशलता ही योग है


नई दिल्ली: कोरोना के मद्देनजर आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस बिना लोगों के बड़े जमावड़े के डिजिटल मीडिया मंचों पर मनाया जा रहा है. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम अपना संदेश दिया. योग दिवस दुनियाभर में पहली बार 21 जून 2015 को मनाया गया और तबसे हर साल इस दिन को योग दिवस के तौर पर मनाया जाता है. लेकिन यह पहला मौका है जब इसे डिजिटल तरीके से मनाया जा रहा है. इस साल की योग दिवस की थीम 'घर पर योग और परिवार के साथ योग' है.


पीएम मोदी ने कहा, ''अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का ये दिन एकजुटता का दिन है, ये विश्व बंधुत्व के संदेश का दिन है. जो हमें जोड़े, साथ लाये वही तो योग है. जो दूरियों को खत्म करे, वही तो योग है. कोरोना के इस संकट के दौरान दुनिया भर के लोगों का My Life-My Yoga वीडियो ब्लॉगिंग कंपटीशन में हिस्सा लेना, दिखाता है कि योग के प्रति उत्साह कितना बढ़ रहा है.'' उन्होंने कहा कि ''बच्चे, बड़े, युवा, परिवार के बुजुर्ग, सभी जब एक साथ योग के माध्यम से जुडते हैं, तो पूरे घर में एक ऊर्जा का संचार होता है. इसलिए, इस बार का योग दिवस, भावनात्मक योग का भी दिन है, हमारी Family Bonding को भी बढ़ाने का दिन है.''


प्राणायाम को अपने अभ्यास में जरूर शामिल करिए- मोदी


नरेंद्र मोदी ने कहा कि ''Covid19 वायरस खासतौर पर हमारे श्वसन तंत्र, यानि कि respiratory system पर attack करता है. हमारे Respiratory system को strong करने में जिससे सबसे ज्यादा मदद मिलती है वो प्राणायाम है.'' उन्होंने कहा कि ''आप प्राणायाम को अपने daily अभ्यास में जरूर शामिल करिए, और अनुलोम-विलोम के साथ ही दूसरी प्राणायाम techniques को भी सीखिए.''


मोदी ने कहा, ''स्वामी विवेकानंद कहते थे- “एक आदर्श व्यक्ति वो है जो नितांत निर्जन में भी क्रियाशील रहता है, और अत्यधिक गतिशीलता में भी सम्पूर्ण शांति का अनुभव करता है”. किसी भी व्यक्ति के लिए ये एक बहुत बड़ी क्षमता होती है.'' उन्होंने कहा कि ''योग का अर्थ ही है- 'समत्वम् योग उच्यते' अर्थात, अनुकूलता-प्रतिकूलता, सफलता-विफलता, सुख-संकट, हर परिस्थिति में समान रहने, अडिग रहने का नाम ही योग है.''


 


प्रधानमंत्री ने कहा कि ''गीता में भगवान कृष्ण ने योग की व्याख्या करते हुए कहा है-'योगः कर्मसु कौशलम्' अर्थात्, कर्म की कुशलता ही योग है. एक सजग नागरिक के रूप में हम परिवार और समाज के रूप में एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे. हम प्रयास करेंगे कि Yoga at home and Yoga with family को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं. हम ज़रूर सफल होंगे, हम ज़रूर विजयी होंगे.''


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