नई दिल्ली: गहरे और रहस्यमयी अंतरिक्ष में हमारे खगोलविदों को कई ग्रह (Planets) मिलते हैं. इनमें से कई ऐसे भी होते हैं जिनमें पृथ्वी के जैसे (Earth like planets) हालात होने की संभावना ज्यादा होती है. वैज्ञानिक इस तरह के ग्रहों में विशेष दिलचस्पी रखते हैं. लेकिन इनके मिलने की संभावना बहुत अधिक नहीं होती. अब एक शोध से पता चला है कि निर्माण की अवस्था में चल रहे पृथ्वी के जैसे ग्रहों के मिलने की संभावना उससे कहीं ज्यादा है जितना कि अब तक सोचा जा रहा था.
क्या था यह अध्ययन
शेफील्ड यूनिवर्सिटी में हुए शोध से इस बात का पता चला है. एक टीम ने हमारी आकाशगंगा (Galaxy) मिल्की वे के कई युवा तारों के समूह का अध्ययन किया. अध्ययन का उद्देश्य यह जानना था कि क्या इन समूहों पूर्व में किए गए अध्ययनों किए गए उन क्षेत्रों जैसे हैं जहां तारे बन रहे हैं. इसके अलावा इस शोध में यह भी जानने की कोशिश की गई कि क्या इन तारों में पृथ्वी जैसे ग्रहों के होने की क्या संभावना है. एस्ट्रोफिजिक्स जर्नल में प्रकाशित इस शोध से पता चला है कि इन समूहों में हमारे सूर्य जैसे उम्मीद से कहीं ज्यादा तारे हैं. जो ऐसे ग्रहों के होने की संभावना बढ़ा देते हैं जो हमारी पृथ्वी की तरह हों, लेकिन वे अभी अपने बनने की शुरुआती अवस्था में हैं.
कैसे होते हैं ये ग्रह?
पृथ्वी जैसे ये ग्रह जो अपने निर्माण की शुरुआती अवस्था में होते हैं, उन्हें मैग्मा ओशीन प्लैनेट (magma ocean planets) कहा जाता है. इस समय ये चट्टानों और अपने जैसे ही ग्रहों के टकराने से बन रहे होते हैं. इस प्रक्रिया में ये काफी गर्म हो जाते हैं और उनकी सतह पिघली चट्टानों की हो जाती है. इस शोध के प्रमुख शोधकर्ता और शेफील्ड यूनिवर्सिटी डॉ रिचर्ड पार्कर ने बताया, “इन मैग्मा ओशीन प्लैनेट को उनके सूर्य के पास पहचानना आसान होता है. ये सूर्य हमारे सूर्य के मुकाबले दोगुने वजन के होते हैं. ये ग्रह इतनी ज्यादा ऊष्मा उत्सर्जित करते हैं कि हम इन्हें नवीनतम इन्फ्रारेट टेलीस्कोप से चमकता हुआ देख सकते हैं
ये ग्रह उसी अवस्था में होते हैं जिस अवस्था में हमारी पृथ्वी अपने शुरुआती दिनों में थी.
पहले क्यों मुश्किल था ऐसे ग्रहों को पहचानना
डॉ पीटर ने कहा, “इन ग्रहों को उन तारों के पास पाया जा सकता है जो एक करोड़ साल पुराने हैं. लेकिन अपने समूह में ये तारे युवा होते हैं. एक समूह में गिनती के तारे ही होते हैं. पहले इनके बारे में जानकारी हासिल करना मुश्किल हुआ करता था क्यों कि ये हमारी आकाशगंगा के पीछे छिपे दिखाई देते लगते थे. गाइया (GAIA) टेलीस्कोप के अवलोकनों से हमें यह जानने में मदद मिली कि ऐसे समूह में बहुत सारे तारे हैं इसी वजह से हम यह अध्ययन कर सके.”
और भी मदद मिलेगी इन अध्ययन से
इस अध्ययन के नतीजों से हमें यह जानने में भी मदद मिलेगी कि तारे बनने की प्रक्रिया क्या सार्वभौमिक (Universal) है. इसके साथ ही इसके नतीजें यह अध्ययन करने में भी मददगार साबित होंगे कि कैसे पृथ्वी जैसे ग्रहों का निर्माण होता है जहां जीवन के अनुकूल परिस्थितियां विकसित होती हैं. अब टीम को यह भी उम्मीद है कि कम्पयूटर सिम्यूलेशन्स की मदद से वे यह समझने में भी सक्षम हो सकेंगे कि इन युवा तारों के समूह का निर्माण कैसे होता है.
अभी तक ये तारे समूह हमारी आकाशगंगा के पीछे छिपे दिखते लगते थे. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
इस शोध में शेफील्ड यूनिवर्सिटी के कुछ अंडरग्रेजुएट छात्रों ने भी भाग लिया. इससे उन्हें अपने कोर्स के विषयों से संबंधित शोधों के लिए जरूरी क्षमताओं के बारे में जानने का मौका मिला. अब इसके बाद शोधकर्ताओं का इरादा विभिन्न गैलेक्सियों का मैप बनाने का है.
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