बहुत सालों में वैज्ञानिक भूकंपों का अध्ययन कर रहे हैं. भूंकप (Earthquake) के दौरान पृथ्वी (Earth) के भीतर से आने वाली भूगर्भीय तरंगों (Seismic waves) का अध्ययन कर उन्होंने बहुत सी जानकारी भी हासिल की है. लेकिन एक ताजा शोध ने वैज्ञानिकों को इसलिए हैरान कर दिया है क्योंकि उन्हें वह जानकारी मिली जो इतने सालों के भूकंप का अध्ययन कर रहे वैज्ञानिक पकड़ नहीं सके.
क्या मिला वैज्ञानिकों को
अब तक माना जाता था कि हम पृथ्वी के इस सबसे अंदर की परत क्रोड़ (Core) के बारे में काफी कुछ जानते थे, लेकिन अब यह साबित होता दिख रहा है कि हम काफी कुछ नहीं जानते हैं. वैज्ञानिकों ने खोज निकाला है कि पृथ्वी के 2900 किलोमीटर के अंदर बड़ी संरचनाएं मौजूद हैं. ये संरचनाएं पृथ्वी की पिघली हुई क्रोड़ यानि पृथ्वी की भीतर से दूसरी परत और उसके ऊपर की परत जिसे ठोस मैंटल कहा जाता है, के बीच स्थित हैं. यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इन संरचनाओं का व्यास एक हजार किलोमीटर है और इनकी गहराई 25 किलोमीटर तक है.
कहां है यह संरचना
अमेरिका की मैरीलैंड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह खोज की है. इस शोध में शोधकर्ताओं ने प्रशांत महासागर क्षेत्र में साल 1990 से 2018 में आए 7000 भूकंपों के आंकड़ों का अध्ययन किया, जिसमें कुछ बड़े भूकंप भी शामिल थे. शोधकर्ताओं ने पाया कि जिसे वे अल्ट्रा लो वेलॉसिटी (ULV) जोन कह रहे हैं उसमें से भूगर्भीय तरंगें धीमी गति से गुजरती हैं. इसके बाद भी वैज्ञानिक इस तरह की संरचना और उसके बारे में अन्य जानकारी से अनभिज्ञ थे. इसके लिए शोधकर्ताओं ने सीक्वेंसर नाम के एक मशीन लर्निंग एलगॉरिदम का उपयोग किया. इस एलगॉरिदम को जॉन्स हॉपकिंस यूनवर्सिटी और तेल अवीव यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने विकसित किया जो इस अध्ययन के सह लेखक भी हैं. यह अध्ययन साइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ है.
वैज्ञानिकों को कोर-मैटल के बीच यह इलका अब तक दिखाई नहीं दिया था. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
कैसे पता चला इन संरचनाओं का
रिक्टर स्केल पर 6.5 के मान से अधिक वाले भूकंप खास तरह की ईको (Echo) वाली खास तरंगे पैदा करते हैं जो अब तक पकड़ी नहीं जा सकी थीं. इन्हें शियर वेव्स (Shear waves) कहते हैं और ये जहां बहुत सारे भूकंप एक साथ आते हैं वहां वे एक सी थीं और नॉइज से अलग पहचानी जा सकीं. शोध के प्रमुख लेखक डोयओन किम ने बताया कि उन्हें कोर-मैंटल की सीमा से आने वाले हजारों ईको पर ध्यान देने पर नई बात का पता चला. हमें पता चला की इस सीमा पर बहुत सी ऐसी संरचनाएं हैं जो इस तरह की ईको पैदा कर रही हैं. हम पहले ऐसा इसलिए नहीं देख सके क्योंकि हमारे देखने का नजरिया बहुत ही अलग था.
क्या खास है इस संरचना में
वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि पहला माना गया था कि हवाई द्वीपों के नीचे मौजूद ULV जोन पहले जितना समझा गया था, उससे कहीं ज्यादा बड़ी है. एक अन्य शोधकर्ता ने बताया कि उन्हें यह जानकर हैरानी हुई की हवाई और मार्केसस द्वीपों के इतना बड़ा इलाका मिलेगा जिसके बारे में सभी अब तक अनजान थे. यह इलाका क्रोड़ और मैंटल की बीच बहुत ही गर्म और ज्यादा घनत्व वाला क्षेत्र है.
भूकंप के आंकड़ों का अध्ययन कर एक एल्गॉरिदम ने यह संरचना पहचानने में मदद की.
किम का कहना है कि यह बिलकुल वैसा ही है जैसे आप किसी अंधेरी गुफा में हों और ताली बजाने से आवाज के वापस आने पर आप समझ जाते हैं कि सामने एक दीवार है. चमगादड़ अपने आसपास के इलाके के बारे में ऐसे ही पता लगाते हैं.
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