ताजा शोध ने अपने अध्ययन से ब्रह्माण्ड की उम्र ज्यादा शुद्धता से निकाली है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
आटाकामा कॉस्मोलॉजी टेलीस्कोप (ACT) की ओर से जारी नए आंकड़ों के मुताबिक ब्रह्माण्ड (Universe) की उम्र करीब 13.8 अरब साल है. यह साल 2015 में की गई गणना से मिलती है जो प्लैंक सैटेलाइट (Planck Satellite) के आंकड़ों से की गई थी, लेकिन इसी गणना को 2019 में एक अन्य शोधकर्ताओं के समूह की पड़ताल ने चुनौती दी थी. उनका कहना था ब्रह्माण्ड इस उम्र से काफी युवा है. उस अध्ययन ने अपनी गणना ब्रह्माण की विभिन्न गैलेक्सियों की गतिविधि के आधार पर की थी, जबकि ACT ने पोलराइज्ड प्रकाश (Polarised light) का मापन कर यह नतीजे निकाले हैं.
किसने किया अध्ययन
इस अध्ययन में सात देशों के 41 संस्थानों के शोधकर्ता शामिल थे अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की इस टीम का हिस्सा रहे यूबीसी के फिजिक्स और एस्ट्रोनॉमी विभाग के प्रोफेसर मार्क हालपर्न ने इस खोज के बारे में विस्तार से जानकारी दी.
किस आधार पर किया अध्ययन
यह टेलीस्कोप बहुत ही कम मिलीमीटर की वेवलेंथ अवलोकन करता रहता है. यह वे तरंगें होती हैं जो ब्रह्माण्ड की शुरुआत में चमकदार पिंडों से निकली थीं. इस अवलोकन से वह ब्रह्माण्ड की संरचरना का नक्शा बनाने की कोशिश करता है. यह खास तौर पर पोलराइज्ड प्रकाश का अध्ययन कर सटीक मापन कर सकता है. अंतरिक्ष में चमक हमें ब्रह्माण्ड की संरचना बताती है त पोलराइजेशनल इसकी गति (Motion) के बारे में बताता है. दोनों मिलकर ब्रह्माण्ड की तस्वीर स्पष्ट करते हैं.
तो कितनी निकली ब्रह्माण्ड की उम्र
शोधकर्ताओं ने पाया कि उन्नत आंकड़े और बेहतर जानकारी भी उनके मॉडल की ब्रह्माण्ड की समझ को गलत नहीं साबित कर सकी. हालपर्न का कहना है कि उम्र उतनी मायने नहीं रखती. हालपर्न का कहना है कि उम्र यहां बड़ा मामला नहीं हैं. लेकिन पहले उनकी टीम को लगता था कि यह उम्र करीब 13.77 अरब साल होगी जिसमें चार करोड़ साल ऊपर नीचे हो सकते है. लेकिन अब उनका विश्वास है कि यह उम्र वास्तव में 13.79 अरब साल है और इसमें केवल 2.1 करोड़ साल ऊपर नीचे हो सकते हैं.
क्या अहमियत है इसकी
हालपर्न का कहना है कि उनकी टीम इतने सटीक अंक तक पहुंच सकी क्योंकि उनके आंकड़े बढ़िया थे और मॉडल सटीक और सरल था. और इससे हम सिस्टम को बेहतर समझ सके. ब्रह्माण्ड की उम्र निकालने के बहुत विकल्प नहीं हैं. मायने यह रखता है कि इससे हम खुद के और अपने जीवन के बारे कितना समझ सके. यह ये बताता है कि ब्रह्माण्ड की एक शुरुआत हुई थी और हम इसकी उम्र काफी सटीकता से जान पाए हैं.
उपलब्धि के साथ चुनौती भी
इस अध्ययन के बाद भी ब्रह्माण्ड के बारे में हमारा सरलतम मॉडल सही बना हुआ है. सबसे जरूरी बात यह है कि इतने सटीक आंकड़ों के मिलने के बाद भी हमारा मॉडल अब भी सही है. लेकिन इसके बाद भी यह हम हबल कॉन्स्टेंट की बात करते हैं जो कि आज के ब्रह्माण्ड के विस्तार की दर बताता है और उसे कॉस्मिक माइक्रोवे बैकग्राउंट जिसे सीएमबी के नाम के जाना जाता है, के नजरिए से, या दूसरे अन्य तरीकों से देखते हैं तो हमें बहुत ही अलग अलग मान मिलते हैं यदि ये अंतर सच हुए तो यह ब्रह्माण्ड के मॉडल्स के लिए एक बड़ी चुनौती होगी.
ACT का अवलोकन जारी रहेगा. अब टीम का अगल लक्ष्य टाइनी पारिटी-वॉयलेटिंग पोलराइजेशन पैटर्न पता करना है. यह गुरुत्व विकरण पैदा करने के संकेतों को पढ़ने के बारे में जिससे हमें ब्रह्माण्ड की शुरुआत के समय के संकेत मिल सकते हैं. लेकिन ACT अकेला नहीं हैं जो ऐसा कर रहा है.
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