दूसरे राज्यों से अपने घर मध्य प्रदेश वापस लौटे प्रवासी मजदूरों के बच्चों को सरकार स्कूलों में दाखिला देने जा रही है. इन बच्चों को पिछली क्लास की मार्कशीट या टीसी के बिना सरकारी स्कूलों में एडमिशन दिया जाएगा. स्कूल शिक्षा विभाग ने व्यापक तैयारी कर ली है.ऐसे 57 हजार बच्चों की पहचान की जा चुकी है जो लॉक डाउन के दौरान अपने माता-पिता के साथ मध्य प्रदेश लौटे हैं. इन सभी को इसी सत्र से स्कूलों में एडमिशन दिया जाएगा.
पहली से आठवीं तक एडमिशन
कोरोना संक्रमण और फिर लॉक डाउन के दौरान रोजी-रोटी बंद होने के बाद प्रदेश के हज़ारों-लाखों प्रवासी मज़दूर अपने घर मध्य प्रदेश लौट आए. इनके साथ इनके बच्चे भी लौटे. ज़ाहिर है इनमें से ज़्यादातर स्कूल जाने वाले बच्चे हैं. जिनकी बीच में ही पढ़ाई और स्कूल छूट गया. ऐसे बच्चों का साल बर्बाद न हो, उनका भविष्य सुरक्षित रहे इसलिए सरकार सभी को स्कूलों में दाखिला देगी. राज्य शिक्षा केंद्र ने दूसरे राज्यों से मध्यप्रदेश लौटे मजदूरों के 57हज़ार बच्चों की पहचान कर ली है. ये बच्चे 5 से 14 वर्ष के हैं. जिन्हें पहली से आठवीं कक्षा में प्रवेश दिया जाएगा.राज्य शिक्षा केंद्र ने पाठ्य पुस्तक निगम को सत्र 2020-21में कक्षा पहली से पांचवी और कक्षा छठवीं से आठवीं तक के बच्चों के लिए दक्षता अभ्यास पुस्तिका की छपाई और वितरण का ऑर्डर भी दे दिया है.
हर जिले में खोले जाएंगे एक या दो प्रशिक्षण केंद्र
स्कूलों में दाखिला दिलाने के साथ ही बच्चों के लिए विभाग आवासीय विशेष प्रशिक्षण केंद्र(आरएसटी) और गैर आवासीय प्रशिक्षण प्रशिक्षण केंद्र (एनआरएसटी) भी खोलने की तैयारी कर रहा है. इन केंद्रों में ऐसे बच्चों को पढ़ाया जाएगा जो स्कूल नहीं जाते हैं. इन बच्चों को यहां पर एक साल की पढ़ाई तीन महीने में पूरी करायी जाएगी.
ज़िलेवार प्रवासी मजदूरों के बच्चों की संख्या
प्रदेश भर में स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रवासी मजदूरों के जिन बच्चों को चिन्हित किया है उनमें भोपाल जिले के 3795, उज्जैन के 2637, जबलपुर के 4293, इंदौर के 8507, खंडवा के 6479, रीवा के 6011, ग्वालियर के 11058 और सागर के 14220 बच्चे शामिल हैं.
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