पितृ पक्ष में चतुर्दशी श्राद्ध का विशेष महत्व बताया गया है. 16 सितंबर 2020 को चतुर्दशी श्राद्ध है. इस दिन उन लोगों का श्राद्ध कर्म किया जाता है जिनकी मृत्यु चतुर्दशी की तिथि को हुई हो. इस दिन श्राद्ध कर्म विधि पूर्वक करना चाहिए. श्राद्ध कर्म में विधि का विशेष महत्व होता है. श्राद्ध कर्म में विधि का सही पालन न करने से इस कर्म का पूर्ण लाभ प्राप्त नहीं होता है.
पंचांग के अनुसार चतुर्दशी की तिथि शाम 7 बजकर 58 मिनट तक है. इसके बाद अमावस्या की तिथि का आरंभ हो जाएगा. लेकिन अमावस्या का श्राद्ध इस दिन नहीं किया जाएगा. अमावस्या का श्राद्ध 17 सितंबर को किया जाएगा. पंचांग के अनुसार इस दिन सिद्ध योग बना हुआ है. 16 सितंबर को अभिजीत मुहूर्त नहीं है. इसलिए राहुकाल का विशेष ध्यान रखें. इस दिन राहु काल का समय दोपहर12 बजकर 15 मिनट से 13 48 मिनट तक है.
चतुर्दशी श्राद्ध की विधि
पितृपक्ष में तर्पण और श्राद्ध करने का विधान बताया गया है. श्राद्ध करने के दौरान सर्वप्रथम हाथ में कुशा, जौ, काला तिल, अक्षत् और जल लेकर संकल्प लें. संकल्प लेने के बाद "ॐ अद्य श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त सर्व सांसारिक सुख-समृद्धि प्राप्ति च वंश-वृद्धि हेतव देवऋषिमनुष्यपितृतर्पणम च अहं करिष्ये." मंत्र का उच्चारण करें. पितरों का आह्वान करते हुए पूजा आरंभ करें. पूजा के दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें. पूजा का समाप्त होने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं. इसके बाद दान आदि का कार्य करें. कौवे, गाय और कुत्ते के लिए भोजन निकाल कर रखें. मान्यता है कि पितृ पक्ष में हमारे पूर्वज देव ब्राह्राण और पशु पक्षियों के रूप में अपने परिवार के सदस्यों से मिलने आते हैं.
सर्व पितृ अमावस्या समय
16 सितंबर 2020: अमावस्या तिथि शाम 19 बजकर 58 मिनट 17 सेकेंड से आरंभ होगी और अमावस्या तिथि समाप्त का समापन 17 सितंबर 2020 को शाम 4 बजकर 31 मिनट 32 सेकेंड तक रहेंगा.
0 टिप्पणियाँ