चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को जीवन में सफल होने के लिए कुछ विशेष गुणों को अपनाना पड़ता है. इन गुणों को व्यक्ति अपने परिश्रम, संस्कार, अनुभव और शिक्षा से ग्रहण से करता है.
चाणक्य एक श्रेष्ठ विद्वान थे. चाणक्य एक कुशल शिक्षक योग्य मार्गदर्शक भी थे. चाणक्य विश्व प्रसिद्ध तक्षशिला विश्व विद्यालय के शिक्षक थे. वे छात्रों को शिक्षा के साथ साथ नैतिक गुणों के बारे में भी बताते. चाणक्य का मानना था कि व्यक्ति वहीं सफल और महान बनता है जो अवगुणों का त्याग कर सद्गुणों को अपनाता है. आचार्य चाणक्य का मानना था कि जब तक व्यक्ति गलतों से घिरा रहता है, उससे सफलता दूर ही रहती है.
चाणक्य के अनुसार झूठ बोलना सबसे बड़ा अवगुण है. चाणक्य की मानें तो ये एक ऐसी आदत है जिससे कभी किसी का भला नहीं हो सकता है. कुछ समय के लिए लाभ की स्थिति बन भी जाए, लेकिन जिस दिन सत्य का पता चलेगा सब व्यर्थ हो जाएगा. चाणक्य के अनुसार झूठ की उम्र अधिक नहीं होती है, सच एक न एक दिन झूठ से पर्दा उठा ही देता है.
झूठ बोलने से आत्मविश्वास में आती है कमी
चाणक्य के अनुसार सफलता पाने के लिए आत्मविश्वास की बहुत अहम भूमिका होती है. जिस व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी होती है वह सदैव स्वयं को दूसरों से कमतर समझता है. यदि व्यक्ति में झूठ बोलने की प्रवृत्ति है तो यह भावना अधिक रहती है. जिस कारण छोटी छोटी सफलता को पाने में भी कष्ट उठाना पड़ता है.
झूठ बोलने से सम्मान में कमी आती है
चाणक्य के अनुसार जो लोग अपने लाभ के लिए झूठ का सहारा लेते हैं उन्हें सम्मान की प्राप्ति नहीं होती है. झूठ का खुलासा एक न एक दिन हो ही जाता है. लेकिन जब झूठ का पता चलता है तो ऐसे व्यक्ति से हर कोई दूरी बना लेता है. झूठे बोलने वाले व्यक्ति को कोई भी पसंद नहीं करता है.
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