कोरोना फेफड़े को ही नहीं दिल को भी नुकसान पहुंचा रहा है। वजह, इस बीमारी से नसों में सूजन के चलते खून का थक्का जमने का डर रहता है, जिससे दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। इसी तरह से दिमाग की नसों में थक्का जमने से लकवा की आशंका रहती है। यही वजह है कि कोरोना मरीजों को खून पतला करने और सूजन कम करने की दवाएं दी जाती हैं। हृदय रोग विशेषज्ञों का कहना है कि जिन्हें पहले से दिल बीमारी जैसे मांसपेशियां कमजोर होना, ब्लड प्रेशर की शिकायत है उन्हें विशेष सतर्क रहने की जरूरत है। मंगलवार (29 सितंबर) को विश्व हृदय दिवस के संदर्भ में नवदुनिया से बातचीत में विशेषज्ञों ने यह बात कही।
आइसीयू में रहे 40 फीसद को हो रही दिक्कत
ऐसे मरीज जो कोरोना के चलते गंभीर स्थिति में पहुंचे। ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहे हैं। इनमें करीब 40 फीसद को कोरोना ठीक होने के बाद भी हार्ट अटैक का खतरा बढ़ाने वाले प्रोटीन व एंजाइम बढ़े हुए आ रहे हैं। इसीजी में बदलाव दिख रहा है। इसके अलावा ट्रोपोनिन टी, सीपीके-एमबी और एनटी प्रो-बीएनपी बढ़े हुए आ रहे हैं। इनसे हार्ट अटैक का जोखिम पता चलता है। - |डॉ. आरएस मीना, हृदय रोग विशेषज्ञ, हमीदिया अस्पताल
कोरोना के चलते खून में थक्का जमाने वाले तत्व बढ़ जाते हैं। इस वजह से दिल का दौरा पड़ने का खतरा रहता है। दरअसल, कोशिकाओं से निकलने वाले साइटोकाइन नामक पदार्थ से सभी अंगों में बहुत ज्यादा सूजन होने की वजह से खून गाढ़ा होने लगता है। कोरोना ठीक होने के महीने भर बाद भी डी-डाइमर, बीएनपी व एनटी प्रो-बीएनपी टेस्ट पॉजिटिव आ रहे हैं। - डॉ. सुब्रतो मंडल, हृदय रोग विशेषज्ञ, भोपाल
यह रखें सावधानी
- जिन्हें पहले से दिल की कोई बीमारी है वह दवा बंद न करें।
- बिना डॉक्टर की सलाह कोई भी दवा न खाएं।
- सांस फूलने की दिक्कत कोरोना और दिल का दौरा दोनों स्थितियों में हो सकती है, इसलिए अनदेखी न करें।
- सीने के बीच में दर्द, भारीपन, ठंडा पसीना, सांस फूलना, उल्टी और चक्कर जैसी स्थिति हार्ट अटैक के लक्षण हैं। इन्हें गंभीरता से लें।
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