इंदौर क्राइम ब्रांच और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने शुक्रवार को संयुक्त कार्रवाई करते हुए खजराना क्षेत्र से नकली देसी घी बनाने का कारखाना पकड़ा। यहां वनस्पति घी और सस्ते रिफाइंड तेल में देसी घी की खुशबू के लिए एसेंस डालकर उससे नकली देसी घी तैयार करते थे। इसके बाद नामी कंपनियों के नकली रैपर लगाकर इन्हें उक्त कंपनियों का घी बताकर बाजार में बेच दिया जाता था। मौके से अधिकारियों ने 500 लीटर से अधिक नकली घी और बड़ी संख्या में रैपर व पैकिंग सामग्री बरामद की है। मौके से एक आरोपित को गिरफ्तार किया है।
डीआइजी हरिनारायणाचारी मिश्र के मुताबिक, मौके से पकड़े गए आरोपित अशरफ शमशेर अली निवासी हबीब कॉलोनी ने कुबा मस्जिद के पास इरफान गौरी का मकान किराए से लिया था। वहां गुपचुप तरीके से नकली घी बनाने का कारखाना शुरू कर लिया। अपने कुछ साथियों की मदद से वह दो साल से नकली घी बनाकर होटल, ढाबों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र की दुकानों पर भी बेच रहा था।
100 रुपये में तैयार कर 300 रुपये किलो में बिक्री
डीआइजी के मुताबिक आरोपित जो नकली घी तैयार करते थे उसकी प्रति किलो लागत सौ रुपये से अधिक नहीं आती थी। जो सामग्री इस्तेमाल की जाती थी वह बेहद खराब गुणवत्ता की होती थी। घी तैयार होने के बाद ये दुकानों पर तीन सौ रुपये प्रतिकिलो में बेच देते थे। दुकानदार उसे 500 से 600 रुपये प्रतिकिलो में ग्राहकों को बेचते थे। नकली घी की ज्यादातर खपत बायपास और शहरी सीमा से लगे होटलों और ढाबों में होती थी। इसके अलावा उज्जैन, देवास में भी घी बेचने की बात आरोपित ने कबूली है। आरोपित से पता चला है कि शहर के छावनी, सिंधी कॉलोनी क्षेत्र के कुछ थोक और खेरची दुकानदार भी नकली घी खरीदते थे। पुलिस ये भी पता लगा रही है कि इस गिरोह में और कितने लोग शामिल हैं।
पैकिंग ऐसी की पहचान करना मुश्किल
एएसपी क्राइम ब्रांच राजेश दंडोतिया ने बताया कि आरोपित ने स्थानीय स्तर पर नामी कंपनियों के रैपर, कार्टन, पैकेट बड़े पैमाने पर छपवा लिए थे। पैकिंग भी इस तरह की जाती थी कि असली और नकली में अंतर करना मुश्किल होता था। बारकोड तक इस्तेमाल किया जा रहा था। पुलिस ने आरोपित के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है।
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