ज्योतिर्लिंग महाकाल का क्षरण रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को बुधवार को एक माह पूरे हो गए हैं। इस एक महीने में मंदिर प्रबंध समिति ने कई कदम उठाए हैं। इसमें अभिषेक के लिए शुद्ध दूध की व्यवस्था करने, भगवान को पहनाए जाने वाले आभूषण नागकर्ण और मुंडमाला का वजन कम करने अथवा अन्य विकल्प अपनाने सहित कई निर्णय शामिल हैं। फिलहाल कोरोना के कारण मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश और अभिषेक आदि बंद हैं, मगर प्रवेश की शुरुआत से पहले ही सभी निर्णयों पर अमल शुरू हो जाएगा। बता दें कि ज्योतिर्लिंग क्षरण मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद एक सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था।
कोर्ट ने फैसले में कई निर्देश दिए हैं। इसमें श्रद्धालुओं द्वारा शिवलिंग के पंचामृत अभिषेक पर रोक, शिवलिंग को हाथ से रगड़ने पर रोक लगा दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि श्रद्धालु केवल जल और दूध से अभिषेक करेंगे। शुद्ध दूध मुहैया कराने की जिम्मेदारी समिति की रहेगी। कोर्ट ने भगवान को पहनाए जाने वाली मुंडमाला और नागकर्ण का वजन कम करने अथवा ऐसे विकल्प अपनाने को कहा था, जिससे ये आभूषण शिवलिंग से स्पर्श न हों।
अभिषेक शुरू होते ही बड़ी मात्रा में लगेगा दूध
कोरोना संक्रमण को देखते हुए वर्तमान में मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश और अभिषेक आदि बंद है, मगर आने वाले दिनों में इसकी शुरुआती होगी। ऐसे में बड़ी मात्रा में दूध की आवश्यकता होगी। इसके लिए समिति ने सहकारी दुग्ध संस्थाओं जैसे सांची आदि से संपर्क किया है। इसके अलावा समिति अपनी गोशाला के विस्तार की भी योजना बना रही है। अन्य गोशालाओं से भी दूध के लिए बात की जा रही है। आभूषण का वजन कम करें या स्टैंड बनाएं मुंडमाला और नागकर्ण को लेकर अधिकारियों ने समिति गठित की है। यह तय करेगी कि महाकाल के आभूषण (मुंडमाला, नागकर्ण) का वजन कम किया जाए या कोई और विकल्प अपनाया जाए।
दरअसल, समिति ऐसा स्टैंड बनाने पर भी विचार कर रही है, जिससे भगवान को आभूषण भी धारण कराए जा सकें और वह शिवलिंग से स्पर्श भी न हों। नागकर्ण और मुंडमाला का वजन पहले भी कम किया जा चुका है। पूर्व में दोनों आभूषणों का वजन चार किलो था, बाद में इस दो किलो किया गया। अगर स्टैंड का उपाय कारगार साबित नहीं हुआ तो समिति आभूषणों का वजन और कम कर सकती है।
18 से 22 डिग्री का तापमान बनाए रखेंगे
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