फाइल फ़ोटो
कंगना रनोट पर की गई अशोभनीय टिप्पणियों के कारण मंगलवार को शिवसेना सांसद संजय राउत को हाईकोर्ट की तगड़ी खिंचाई का सामना करना पड़ा। हाईकोर्ट ने कंगना के बांद्रा स्थित कार्यालय में तोड़फोड़ के लिए बीएमसी पर भी सख्त टिप्पणियां की हैं। कोर्ट ने दोनों पक्षों से एक हफ्ते में लिखित स्पष्टीकरण देने को कहा है। जस्टिस शाहरुख जिमी कत्थावाला और रियाज इकबाल छागला की खंडपीठ ने कंगना की याचिका पर सुनवाई करते हुए संजय राउत द्वारा रनोट पर की गई अशोभनीय टिप्पणियों के लिए जमकर खिंचाई की। गत दिनों कंगना ने मुंबई पुलिस और मुंबई की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए थे। जिसके जवाब में राउत ने रनोट को "हरामखोर" कहा था।
एक टीवी चैनल पर साक्षात्कार के दौरान जब एंकर ने राउत से पूछा कि कानून हाथ में लेने की क्या जरूरत, तो राऊत ने उससे उल्टा सवाल किया कि "कानून क्या है"। मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए दोनों जजों ने राउत के इन दोनों बयानों पर कड़ी टिप्पणी की। जज ने पूछा कि ये कानून क्या है, का क्या मतलब है।
राउत के वकील ने कंगना पर की गई टिप्पणियों पर सफाई देते हुए कहा ये बयान कंगना द्वारा महाराष्ट्र को असुरक्षित बताने पर दिए गए। इसका मतलब उन्हें धमकाना नहीं था। इस पर पीठ ने कहा कि हम भी उनके (कंगना के) बयानों से सहमत नहीं हैं, लेकिन इस तरह प्रतिक्रिया देने का क्या मतलब है। वह भी तब, जब आप एक नेता और सांसद हैं।
बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) पर यह आरोप हैं कि उसने बदले की कार्रवाई के तहत कंगना के कार्यालय में तोड़फोड़ की। हाईकोर्ट ने इस बारे में बीएमसी के अधिकारियों से भी जवाब मांगा था। बीएमसी के वकील अनिल साखरे को संबोधित करते हुए पीठ ने पूछा कि बीएमसी के अधिकारी सितंबर से पहले क्या कर रहे थे।
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