मान्यता है कि माथे पर बनी किस्मत की रेखाओं के अनुसार ही व्यक्ति का जीवन चलता है। इन रेखाओं के अनुसार ही किस्मत बनती और बिगड़ती है। लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि माथे पर बनी हर रेखा का एक गृह से संबंध है। जैसे सबसे ऊपर वाली रेखा को शनि रेखा कहा जाता है। यानी शनि ग्रह की स्थिति का असर इस पर पड़ता है। इसी तरह दूसरे नंबर वाली रेखा गुरु रेखा कहलाती है। वृहस्तपति से इसका सीधा संबंध है। इसके बाद क्रमशः मंगल रेखा, बुध रेखा, शुक्र रेखा, सूर्य रेखा और चंद्र रेखा आती हैं।
किस्मत बदल सकती है शनि रेखा
माथे पर स्थित सबसे ऊपर वाली शनि रेखा में बहुत शक्ति होती है। ज्योतिष कहता है कि इसी कारण इसे सबसे ऊपरी का स्थान मिला है। समुद्र लक्षण विज्ञान में इसके बारे में विस्तार से बताया गया है। शनि रेखा अधिक लंबी नहीं होती है। केवल माथे के बीच में ही दिखाई देती है। समुद्र लक्षण विज्ञान कहता है कि इस रेखा के आसपास का हिस्सा शनि देव और शनि ग्रह से प्रभावित होता है।
मान्यता है कि जिस व्यक्ति के मारे पर यह रेखा साफ दिखाई देती है, वह गंभीर स्वभाव का होता है। वहीं, जिन लोगों का माथा थोड़ा उठा होता है और शनि रेखा स्पष्ट दिखाई देती है, वे अहंकारी होते हैं। ऐसे लोगों का स्वभाव रहस्यमयी भी होता है। इनके बारे में दूसरे को ज्यादा जानकारी नहीं होती है। ऐसे ही लोग जादूगर और तांत्रिक बनते हैं। जिन लोगों पर शनि देव प्रसन्न होते हैं, उनके लिए अच्छा वक्त शुरू हो जाता है। ज्योतिषियों की सलाह पर शनि देव की आराधना करें।
माथे की लकीरें बताती हैं कितनी रहेगी उम्र
शरीर लक्षण विज्ञान के अनुसार मस्तक की रेखाओं को देखकर किसी भी व्यक्ति की उम्र का अनुमान लगाया जा सकता है। मस्तक पर दो पूर्ण रेखाएं हो तो व्यक्ति की उम्र लगभग 60 वर्ष होती है। वहीं सामान्य मस्तक पर तीन शुभ रेखाएं हो तो व्यक्ति करीब 75 वर्ष की आयु प्राप्त करता है। यदि मस्तक श्रेष्ठ हो तो जातक की उम्र और भी अधिक होती है। निम्न ललाट पर भी शुभ गुणों से युक्त चार रेखाएं हों तो जातक की आयु लगभग 75 वर्ष होती है।
सामान्य मस्तक पर पांच उत्तम रेखाएं हों तो ऐसे जातक सौ वर्ष तक सुख भोगते हैं। यदि उन्नत मस्तक पर पांच से अधिक रेखाएं हों तो जातक की आयु मध्यम और यदि मस्तक निम्न श्रेणी का हो तो जातक अल्पायु होता है। मस्तक की किन्हीं दो रेखाओं के किनारे आपस में एक-दूसरे का स्पर्श करते हैं तो ऐसे जातक की आयु करीब 60 वर्ष होती है। मस्तक पर यदि कोई रेखा न हो तो व्यक्ति 25 से 40 वर्ष की आयु में पीड़ा पाता है।
0 टिप्पणियाँ