दिल्ली उच्च न्यायालय के राष्ट्रीय राजधानी में आरटी-पीसीआर जांच में तेजी लाने के सुझाव में आरटी-पीसीआर मशीनों की खरीद की ऊंची कीमत एक बाधा साबित हो सकती है. अधिकारकियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को सुझाव दिया था कि आप सरकार को कोविड-19 संक्रमण का पता लगाने के लिये आरटी-पीसीआर जांच क्षमता को अधिकतम करना चाहिए क्योंकि रैपिड एंटीजन जांच (आरएटी) की सटीकता सिर्फ 60 प्रतिशत है.
उच्च न्यायालय ने उप राज्यपाल द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति से कहा कि यह तय करने के लिये प्राथमिकता के आधार पर एक बैठक बुलाएं कि कितनी क्षमता में आरटी-पीसीआर जांच को बढ़ाया जाना चाहिए. पीठ ने यह भी संज्ञान में लिया कि 8-15 सितंबर के बीच एक हफ्ते के दौरान आरटी-पीसीआर से हुई जांच की संख्या कुल जांच के एक चौथाई से भी कम थी और बाकी जांच आरएटी प्रक्रिया से हुईं.
अधिकारियों ने कहा कि आरएटी प्रक्रिया को आरटी-पीसीआर की तुलना में कम सटीक माना जाता है क्योंकि इसमें गलत रूप से नकारात्मक आने की दर ज्यादा होती है. उन्होंने कहा कि एक आरटी-पीसीआर मशीन की कीमत 15-20 लाख रुपये होती है.
दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “जांच बढ़ाने के लिये हमें और आरटी-पीसीआर मशीनों की आवश्यकता होगी. यह मशीनें खासी महंगी हैं. इस वक्त इस तरह के निवेश करना संभव नहीं है. सरकार कोशिश कर सकती है लेकिन वह पहले ही फंड की कमी से जूझ रही है.”
शहर के उत्तरी जिले के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि उन्होंने पहले ही कर्मियों को और आरटी-पीसीआर जांच करने का निर्देश जारी कर दिया है. दिल्ली में फिलहाल आरटी-पीसीआर जांच करने की स्वीकृत क्षमता 14,000 है.
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