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आइआइटी इंदौर और एनसीसीएस ने मिलकर तैयार किया कोविड-19 वैक्सीन, ट्रायल शुरू


इंदौर आइआइटी इंदौर ने नेशनल सेंटर फॉर सेल साइंस (एनसीसीएस) के साथ काम कर कोविड-19 वायरस का वैक्सीन तैयार कर लिया है। आइआइटी इंदौर अब इस वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल पर भी आगे बढ़ चुका है। संस्थान के बायोसाइंस व बायोमेडिकल साइंस के प्रोफेसर और शोधार्थी वैक्सीन का जानवरों पर परीक्षण कर रहे हैं। संस्थान को उम्मीद है कि आगामी कुछ महीनों में वैक्सीन उत्पादन के अंतिम स्तर तक पहुंच जाएगा। सोमवार को आइआइटी इंदौर के आठवें दीक्षा समारोह के मौके पर संस्थान के कार्यवाहक निदेशक प्रो.निलेश जैन ने वैक्सीन के विकास की दिशा में मिली सफलता की भी घोषणा की।


आइआइटी और पुणे के एनसीसीएस के साथ कुछ अन्य संस्थान मिलकर बीते कुछ महीनों से कोविड-19 के वैक्सीन पर शोध में जुटे थे। आइआइटी में बायोसाइंस व बायोमेडिकल साइंस के प्रोफेसर डॉ.देबाशीष नायक की अगुवाई में अब वैक्सीन के परीक्षण का काम जारी है। निदेशक प्रो.जैन के मुताबिक वैक्सीन तैयार करने के काम में संयुक्त रूप से एक साथ कई एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं। मानव के लिए सुरक्षित वैक्सीन तैयार करने के लिए आइआइटी व पुणे के एनसीसीएस ने मिलकर कोरोना फैलाने वाले सार्स कोविड-19 वायरस का स्यूडोटाइप वायरस जिसे वैज्ञानिक भाषा में वीएसवी कहा जाता है, तैयार किया है। वीएसवी वायरस का कम तीव्रता वाला (माइल्ड) प्रकार होता है।







जो सामान्यतौर पर जानवरों की कोशिकाओं और वायरस के प्रोटीन को खास तरीकों से ढाल कर कई परीक्षणों के बाद विकसित किया जाता है। आइआइटी में इसका विकास करने के बाद शोध में सहयोगी अन्य संस्थानों के पास क्वालिटी टेस्टिंग के लिए भेजा गया था। ऐसा सुरक्षित वायरस तैयार होने के बाद आगे के चरण में इस वायरस को वैक्सीन के रूप में ढाला जाता है। मानव पर परीक्षण से पहले इससे तैयार वैक्सीन का चरणबद्ध परीक्षण अलग-अलग जानवरों पर होता है। ताकि यह वायरस मानव शरीर को बगैर नुकसान पहुंचाए उस वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बना सके।







आइआइटी निदेशक के मुताबिक अगस्त अंत से क्लीनिकल ट्रायल शुरू हो चुका है। हमें सफलता भी मिल रही है। उम्मीद की जा रही है कि अगले वर्ष के शुरुआती महीनों में वैक्सीन उत्पादन की स्थिति में जाएगा। आइआइटी ने साफ किया है कि वैक्सीन के विकास के लिए शोध कार्य करना आइआइटी का काम था। तैयार होने के बाद इसके उत्पादन से लेकर वितरण की व्यवस्था व अन्य प्रबंधन सरकार व उससे जुड़ी अन्य एजेंसियों को ही करना है।


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