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अस्पतालों मे भर्ती कोरोना रोगियों पर आयुर्वेदिक दवाओं का परीक्षण नहीं किया जाएगा।


 अस्पतालों मे भर्ती कोरोना रोगियों पर आयुर्वेदिक दवाओं का परीक्षण नहीं किया जाएगा। अंग्रेजी और आयुर्वेदिक दवाओं को साथ खाने से शरीर पर क्या असर पड़ेगा, इस संबंध में अभी कोई अध्ययन नहीं है। लिहाजा स्वास्थ्य विभाग ने इस पर रोक लगा दी है। इस तरह के दिशा निर्देश स्वास्थ्य संचालनालय में अपर संचालक डॉ. वीणा सिन्हा ने जारी किए हैं। पिछले हफ्ते राज्य तकनीकी सलाहकार समिति की बैठक में लिए गए निर्णयों के आधार पर यह निर्देश सभी कलेक्टरों और सीएमएचओ को जारी किए गए हैं।


निर्देश में यह भी कहा गया है कि कई मरीजों को 100 डिग्री बुखार होने पर भी सीटी स्कैन की रिपोर्ट में बीमारी गंभीर देखने को मिल रही है। लिहाजा, इतने बुखार को भी हल्के में न लें। होम आइसोलेशन में हैं तो इसकी सूचना चलित चिकित्सा ईकाई को दें। फौरन कोविड अस्पताल जाएं। यह भी कहा गया है कि ऐसी सर्जरी जिन्हें टालने से मरीज को दो महीने तक कोई दिक्कत नहीं होगी उन्हे टाल दिया जाए।








अस्पतालों से मरीजों को होम आइसोलेशन में तभी भेजना को कहा गया है जब सैंपल लेने या लक्षण दिखाने के सात दिन पूरा होने के बाद पिछले तीन दिन से बिना दवा खाए बुखार नहीं आया हो। पिछले चार दिन से मरीज का ऑक्सीजन का स्तर 95 फीसद से ज्यादा हो और सांस लेने में कोई दिक्कत नहीं हो रही हो।


जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन देने से भी नुकसान


निर्देशों में कहा गया है कि जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन देने पर बच्चों के आंख में और बड़ों के फेफड़े में दिक्कत हो सकती है। लिहाजा, ऑक्सीजन का स्तर देखने के बाद जरूरत के अनुसार ही मरीजों को ऑक्सीजन दी जाए। बता दें कि प्रदेश के कई अस्पतालों में यह सामने आया है कि एक बार ऑक्सीजन देने की रफ्तार तय करने के बाद निगरानी नहीं की जाती।







हमीदिया में होगा अध्ययन, पता चलेगा रेमडेसिविर से कितना फायदा


सलाहकार समिति की बैठक में यह भी निर्णय लिया गया है कि जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है, उन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन मरीज या परिजन की सलाह पर लगाया जा सकता है। इस इंजेक्शन से अभी तक मरीजों को कितना फायदा हुआ है यह देखने के लिए हमीदिया अस्पताल के डॉक्टर अध्ययन कर रिपोर्ट देंगे।


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