कोरोना काल में बनी बेरोजगारी की स्थिति और घरों की बिगड़ी अर्थव्यवस्था का असर स्कूलों की प्रवेश प्रक्रिया में भी देखने को मिला। इस साल स्कूलों में नामांकन प्रक्रिया 30 सितंबर तक चली, फिर भी बीते साल की तुलना में दाखिले कम हुए। शिक्षा सत्र 2019-20 में जहां करीब एक करोड़ 43 लाख बच्चों ने दाखिला लिया था, वहीं इस साल स्कूलों में करीब एक करोड़ 25 लाख विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है। बीते साल की तुलना में करीब 18 लाख दाखिले कम हुए हैं। अभिभावकों ने बच्चों के प्रवेश के लिए सरकारी स्कूलों को प्राथमिकता दी है।
स्कूल शिक्षा विभाग के पोर्टल के आंकड़ों के मुताबिक 81 लाख विद्यार्थियों ने सरकारी और 43 लाख ने निजी स्कूलों में प्रवेश लिया है। शिक्षाविदों का मानना है कि कोरोनो काल में लोगों की आर्थिक स्थिति खराब होने से यह स्थिति बनी। बड़े शहर पिछड़े - छिंदवाड़ा, बैतूल, नीमच, उमरिया जैसे जिलों में बीते साल की तुलना में 98 फीसद नामांकन हुए। इन जिलों में निजी के मुकाबले सरकारी स्कूलों में प्रवेश की संख्या अधिक है।
- भोपाल, इंदौर, ग्वालियर जैसे बड़े शहरों में बीते साल की तुलना में 63 फीसद प्रवेश ही हो सके। पहली से 12 वीं तक सरकारी स्कूल आगे
- पहली से आठवीं कक्षा में निजी स्कूलों में करीब 33 लाख और सरकारी में करीब 59 लाख विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया।
- नौवीं से 12 वीं में निजी स्कूलों में करीब 10 लाख तो सरकारी स्कूलों में करीब 22 लाख नामांकन हुए।
इन जिलों की स्थिति बेहतर जिले
2019-2020
छिंदवाड़ा- 401156-388590
बैतूल - 308494-299650
नीमच- 139257-133400
उमरिया- 138360-132611
झाबुआ - 269066-257544
सागर-480478-457244
रतलाम -289169-274802
बड़े शहरों में कम हुए नामांकन
जिले 2019-2020
भोपाल 391369-248367
इंदौर 496605-357675
जबलपुर 389305-356535
ग्वालियर 368311-330448 2019
कुल प्रवेश - 14293243
सरकारी स्कूल - 8766544 निजी स्कूल- 5376787--2020
कुल प्रवेश - 12508603सरकारी स्कूल- 8132800निजी स्कूल- 4375848
सरकारी स्कूलों में शिक्षण व्यवस्था में सुधार लाने के लिए मिशन-1000 स्कूलों का चयन किया है। इसके बाद अन्य सभी स्कूलों को सुदृढ़ किया जाएगा। सरकारी स्कूलों में शत-प्रतिशत नामांकन का लक्ष्य है। -इंदर सिंह परमार, स्कूल शिक्षा राज्य मंत्रीकोरोना काल में हर किसी को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ा है। इस कारण भी इस बार प्रवेश संख्या कम है। निजी स्कूलों में फीस को लेकर समस्या आ रही है। इस कारण सरकारी स्कूल अभिभावकों की प्राथमिकता में रहे।
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