इंदौर। मुंबई पुलिस के लिए रिया चक्रवर्ती फिल्म अभिनेत्री हैं मगर इंदौर में रिया का मतलब एमडी है। इसका सेवन करने वाले लोग पेडलर को रिया के नाम से ऑर्डर देते हैं। तस्करों के ये कोडवर्ड नारकोटिक्स विंग ने डीकोड किए हैं। एजेंसी का दावा है कि रिया चक्रवर्ती का ड्रग्स केस में नाम आने के बाद उसके नाम से ड्रग्स बेची जा रही है।
नारकोटिक्स विंग ने रिया यानी एमडी के अलावा भी गांजा, चरस, अफीम जैसे अन्य मादक पदार्थों के नामों को डी-कोड किया है। सूत्रों के मुताबिक तस्कर ब्राउन शुगर को चॉकलेट, चरस को हरा व अफीम को काला के नाम से बेच रहे हैं। ब्राउन शुगर गहरे भूरे रंग की होती है इसलिए चॉकलेट नाम दिया है। गांजा को घास-फूस, पुड़िया, माल और टिकट व नग के नाम से मांगा जाता है। रिया (एमडी) की ज्यादातर खपत पबों और फॉर्म हाउसों पर होने लगी है। जबकि घासफूस(गांजा) ढाबों और छोटी चाय की दुकानों पर आसानी से उपलब्ध है।
8 महीने में 612 केस केस पकड़े
पुलिस ने 1 जनवरी से 13 अगस्त के बीच मादक पदार्थों की खरीद फरोख्त व सेवन के 574 केस दर्ज किए हैं। जबकि नारकोटिक्स विंग के रिकॉर्ड में 38 मामले दर्ज हो चुके हैं जिनमें 92 लोगों को मुलजिम बनाया गया है। पुुलिस का दावा है कि ज्यादातर मामलों में पकड़ाए पेडलर नशेड़ी थे। गांजा, अफीम, एमडी और चरस का सेवन करते हुए तस्करी करने लगे थे। इसमें अधिकतर प्रतिबंधित गोलियों का सेवन करने वाले नशेड़ी शामिल हैं।
मंदसौर-प्रतापगढ़ से अफीम और ओडिशा से आ रहा गांजा
नारकोटिक्स विंग ने तस्करों के रूट को भी ट्रेस किया है। इसमें जानकारी मिली कि अफीम मंदसौर, नीमच व राजस्थान के प्रतापगढ़, भवानी मंडी क्षेत्र से आती है। जबकि गांजा ओडिशा से आता है। हालांकि अब मध्यप्रदेश के सेंधवा, सोनकच्छ, खरगोन, खड़गवानी, बालसमुंद भी गढ़ बन गए हैं। खड़गवानी के मेवाती समुदाय के कुछ लोग कंटेनर के मार्फत गांजा लेकर आते हैं जिसे छोटे पेडलरों को सप्लाइ कर देते हैं।
0 टिप्पणियाँ