दीपावली के दौरान पटाखों के धुआं से कोरोना महामारी विस्फोटक रूप ले सकती है। यह चेतावनी शहर के चिकित्सकों ने दी है। उनका कहना है कि अध्ययन से यह स्पष्ट हो चुका है कि प्रदूषण से कोरोना का खतरा बढ़ जाता है। प्रदूषण वाले क्षेत्रों में कोरोना से ज्यादा मौतें सामने आई हैं। पटाखों के विस्फोट से होने वाला प्रदूषण खासकर सांस के मरीजों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। इससे सीओपीडी व अस्थमा के मरीज बढ़ सकते हैं। बेहतर होगा कि इस बार दीपावली पर पटाखे न जलाए जाएं। चिकित्सक बताते हैं कि कोरोना से स्वस्थ होने वाले कई मरीजों में अस्पताल से लौटने के एक माह बाद भी फेफड़ों का संक्रमण सामने आ चुका है।
बढ़ेगी सांस की तकलीफ
स्कूल ऑफ एक्सीलेंस इन पल्मोनरी मेडिसिन मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. जितेन्द्र भार्गव ने बताया कि दीपावली व अन्य पर्व या दिवस पर फोड़े जाने वाले पटाखों से वातावरण खतरे में पड़ेगा। हवा में फैलने वाले बारूद के विषाक्त कण कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ा सकते हैं। वायु प्रदूषण सांस की तकलीफ बढ़ाएगा। कोरोना के कई मरीज ऐसे सामने आए हैं जिनमें अस्पताल से छुट्टी मिलने के एक माह बाद भी फेफड़ों में संक्रमण पाया गया। वायु प्रदूषण का कोरोना से स्वस्थ हो चुके मरीजों को भी खतरा होगा। इसलिए लोग अभी से तय कर लें कि दीपावली पर पटाखों का उपयोग नहीं करेंगे। मास्क और शारीरिक दूरी के नियमों का अनिवार्य रूप से पालन किया जाए।
पटाखों पर लगे रोक
जिस तरह राजस्थान सरकार ने पटाखे फोड़ने व उनकी बिक्री पर रोक लगाई है, उसी तरह मध्यप्रदेश में भी रोक लगाने की आवश्यकता है। नवंबर में ठंड बढ़ेगी, इसी समय किसान खेतों में पराली जलाते हैं, ऐसे में पटाखों का विस्फोट वातावरण को प्रदूषित कर देगा। पटाखों का धुआं सांस की तकलीफ से जूझ रहे मरीजों को मुसीबत में डाल सकता है। रिसर्च से पता चला है कि जहां प्रदूषण ज्यादा है वहां कोरोना के ज्यादा मरीज व मृत्यु दर सामने आई है।
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