इंदौर। शहर का कपड़ा बाजार धीरे-धीरे गुलजार होने लगा है। लॉकडाउन की पाबंदिया हटने के बाद पहले ही कारोबार जोर पकड़ने लगा था और अब त्योहारों एवं शादियों का सीजन शुरू होने की वजह से बिजनेस दिनोंदिन बढ़ रहा है। बेडशीट, पर्दे, तौलिया, कुर्ती, ड्रेस मटेरियल, साड़ियां और सुटिंग-शर्टिंग समेत सभी तरह के कपड़ों और रेडिमेड गार्मेंट की मांग बढ़ने लगी है। श्रीमंत महाराजा तुकोजीराव क्लॉथ मार्केट मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष हंसराज जैन ने कहा, 'यदि लॉकडाउन से पहले वाली स्थिति से तुलना करें तो करीब 80 प्रतिशत कारोबार पटरी पर लौट आया है।'
जैन के मुताबिक दशहरे और दीपावाली जैसे त्योहारों के लिए तो मांग है ही। इसके अलावा 11 दिसंबर तक काफी शादियां भी हैं। इनकी वजह से सभी तरह के कपड़ों का बिजनेस बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों से कोविड-19 वायरस से संक्रमित मरीजों की तादाद लगातार घटने की वजह से भी डर का माहौल कम हुआ है और लोग बाजार आने लगे हैं।
मिलने लगे बड़े ऑर्डर पर कीमतें स्थिर
क्लॉथ मार्केट मर्चेंट एसोसिएशन के कार्यकारिणी सदस्य और कपड़ा व्यापारी अरुण बाकलीवाल ने कहा कि इंदौर से एक हजार किलोमीटर दूर तक के शहरों से बड़े ऑर्डर मिलने लगे हैं। इनमें रायपुर समेत छतीसगढ़ के तमाम बड़े शहर, भोपाल और मालवा-निमाड़ के साथ-साथ गुजरात के भी कुछ शहर शामिल हैं। उन्होंने कहा कि स्थानीय कपड़ा बाजार में सूरत, मुंबई, भीलवाड़ा, अहमदाबाद, पानीपत, लुधियाना व इचल करंजी (महाराष्ट्र) के अलावा दक्षिण के कुछ राज्यों और मध्य प्रदेश के ही बुरहानपुर व उज्जैन से माल आता है। बाकलीवाल के मुताबिक लॉकडाउन में स्टॉक अधिक जमा हो जाने की वजह से मांग बढ़ने के बावजूद कपड़ों की कीमतें नहीं बढ़ी हैं।
रेडिमेड का धंधा मंदा
इंदौर रेडिमेड वस्त्र व्यापारी संघ के सचिव आशीष निगम ने बताया कि रेडिमेड कपड़ों का कारोबार लॉकडाउन से पहले वाली स्थिति के मुकाबले अभी 40 प्रतिशत के स्तर पर ही पहुंच पाया है। उनके मुताबिक मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान से कम ऑर्डर आ रहे हैं, लेकिन केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे दक्षिण के राज्यों से अच्छा-खास ऑर्डर मिल रहा है।
यूनिफॉर्म का बाजार ठंडा
स्कूल बंद रहने के कारण यूनिफॉर्म का बिजनेस ठप हो गया है। बाकलीवाल ने बताया कि इस धंधे में लगे कारोबारियों का करोड़ों का माल महीनों से बचा हुआ है और उनकी पूंजी फंस गई है। मुकम्मल कपड़ा बाजार में बस यही एक सेगमेंट है, जो कोविड-19 महामारी की मार से अब तक नहीं उबर पाया है।
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