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इंदौर के करीब पीथमपुर की नामी कंपनियों की ड्यूटी क्रेडिट स्क्रिप बेची डिजिटिल हस्ताक्षर से चुराए 4 करोड़ रुपए


इंदौर । पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र की बड़ी कंपनियों को भारत सरकार की निर्यात योजना के तहत मिली ड्यूटी क्रेडिट स्क्रिप (डीएससी) को अनधिकृत रूप से डिजिटल हस्ताक्षर से बेचने के मामले की गुत्थी साइबर सेल ने सुलझाने का दावा किया है। सेल ने इंदौर व पुणे के 6 आरोपितों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने कंपनियों को निर्यात के बदले मिली 4 करोड़ रुपये की डीएससी को अवैधानिक तरीके से बेच दिया। आरोपितों के बैंक खातों से 1 करोड़ 60 लाख रुपये भी बरामद किए हैं। साइबर सेल गिरोह में शामिल पुणे के पांच व्यक्तियों को तलाश रही है।


एसपी साइबर सेल जितेंद्र सिंह ने बताया कि पीथमपुर स्थित वॉल्वो कंपनी के ब्रजेश दुबे और ऐरावत कंपनी के देवेंद्र थापक ने शिकायत दर्ज करवाई थी कि अनधिकृत रूप से डिजिटल हस्ताक्षर का उपयोग कर दो करोड़ रुपये से अधिक की डीएससी अवैध रूप से बेची गई है। इस गिरोह ने एक अन्य वाहन निर्माण कंपनी के की भी दो करोड़ रुपये की डीएससी बेच दी थी। साइबर सेल ने जांच के बाद शुक्रवार रात आरोपित हिमांशु उर्फ आशु जैन पुत्र हिम्मतलाल जैन निवासी बसंत विहार कॉलोनी, आशुतोष उर्फ आशु पुत्र सत्यनारायण श्रीवास्तव निवासी कासा ग्रीन कॉलोनी, अभिषेक पुत्र राजेंद्र ठाकुर निवासी पिनेकल ड्रीम, राजेश पुत्र रामकृष्ण जगताप निवासी दुकीर लाइन पुणे, हर्षल पुत्र दिलीप घोड़के निवासी कर्वे नगर पुणे और मनोज पुत्र सुरेश कुमार लुंकड़ निवासी मार्कट यार्ड पुणे को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस धोखाधड़ी और खाते मुहैया करवाने के आरोपित जटार, सलीम, वसीम, विकास शर्मा, ऋषिकेश सिंह आदि की मुंबई और पुणे में तलाश कर रही है।







कंपनी के एजेंट के पास थी डिजिटल की, उसी से की ठगी


एसपी सिंह के अनुसार दोनों कंपनियां आयात-निर्यात करती हैं। कारोबार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एमइआइएस योजना के तहत भारत सरकार द्वारा कंपनियों को फ्री ऑन बोर्ड (एफओबी) मूल्य की डीएससी दी जाती है। यह कुल निर्यात मूल्य का दो से पांच प्रतिशत तक होती है। इससे कंपनियां कस्टम ड्यूटी, इम्पोर्ट ड्यूटी एवं नए सामान का आयात भी कर सकती हैं। कंपनियों के अधिकृत डिजिटल हस्ताक्षर से ही लेनदेन, क्रेडिट स्क्रिप ट्रांसफर और विक्रय संभव है। यह डीएससी 24 महीने तक वैध रहती है।







सिंह के अनुसार आरोपित राजेश जगताप (कंपनी एजेंट) के पास डिजिटल हस्ताक्षर की जानकारी थी। उसने साथियों के माध्यम से मुंबई की कंपनी (सन एक्सपोर्ट) को डीएससी बेच दी। आरोपितों ने कंपनी से भुगतान लेने के लिए नॉन बैंकिंग फर्म (पैसावाला मार्कट प्रा.लि.) के संचालक हिमांशु, आशुतोष, अभिषेक ठाकुर व मनोज लुंकड़ की कंपनी (केपी टेक इम्पेक्टस) से संपर्क किया। उन्होंने कमीशन लेकर रुपये ट्रांसफर करवा लिए। बाद में दूसरों के खातों में रुपये ट्रांसफर कर दिए। आरोपितों ने पूछताछ में इसी तरह से 17 स्क्रिप बेचना कबूला है।


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