फाइल फोटो
मध्यप्रदेश के राजकीय खेल मलखंभ पर उज्जैन में पहली बार वैज्ञानिक रूप से शोध हो रहा है। यह शोध यहां के फिजियोथैरेपिस्ट डॉ. अनुराग आचार्य कर रहे हैं। वे हर उम्र के व्यक्ति को मलखंभ का अभ्यास कराकर पता करना चाहते हैं कि आखिर मलखंभ के आसन लगाने से शरीर की कौन सी मसल्स (मांसपेशी) कैसे काम करती है, शरीर में कितना लचीलापन (फ्लैक्सिबिलिटी) आता है और कार्यक्षमता (स्टेमिना) कितनी बढ़ती है। इस शोध के लिए वे द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्त योगेश मालवीय का सहयोग भी ले रहे हैं।
डॉ. अनुराग, खुद एक वक्त मलखंभ के राज्यस्तरीय खिलाड़ी रह चुके हैं। उन्होंने 'नईदुनिया' को बताया कि मलखंभ को सिर्फ खेल के रूप में देखा जाना ठीक नहीं है। मलखंभ प्राचीन खेल है, जिसमें अपने शरीर के बल का उपयोग करते हुए व्यायाम किए जाते हैं। ये व्यायाम, जिम के उपकरणों से किए जाने वाले व्यायाम से ज्यादा सुरक्षित और फायदेमंद हैं। मलखंभ के व्यायाम से कार्यक्षमता अधिक बढ़ती है। शोध स्वरूप हर उम्र के कुछ लोगों को मलखंभ अभ्यास कराया जा रहा है। उनकी बॉडी और मसल्स स्ट्रेंथ का अभी डेटा रिकॉर्ड किया है। दो माह बाद फिर देखेंगे कि इनमें कितना अंतर आया है। ये डेटा भविष्य में मलखंभ को ओलिंपिक, एशियन गेम्स में शामिल कराने में काफी फायदेमंद साबित होगा।
वर्ष 2013 में घोषित किया था राजकीय खेल
मलखंभ देश का प्राचीन खेल है, जिसमें खिलाड़ी लकड़ी के एक उर्ध्व खंभे या रस्सी के ऊपर शारीरिक बल का उपयोग कर करतब का प्रदर्शन करता है। इसमें जिस खंभे उपयोग होता है, उसे मलखंभ कहते हैं। वर्ष 2013 में मलखंभ को राजकीय खेल घोषित किया था। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने उज्जैन में मलखंभ अकादमी खोलने की घोषणा की थी, लेकिन अकादमी के लिए अब तक जमीन तय नहीं हो पाई। मलखंभ के क्षेत्र में
उज्जैन के खाते में हैं 23 अवॉर्ड
1 द्रोणाचार्य
12 विक्रम
4 विश्वामित्र
3 प्रभाष जोशी
3 एकलव्य अवार्ड
प्रशिक्षक को सम्मान मिला, सम्मान निधि नहीं
अभी तीन सप्ताह पहले ही उज्जैन के योगेश मालवीय ने भारत सरकार से द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्त किया। उन्हें सम्मान स्वरूप प्रमाण पत्र मिला, लेकिन केंद्र और राज्य सरकार की ओर से मिलने वाली 10-10 लाख रुपये की सम्मान निधि नहीं मिली। उनका इस बारे में कहना है कि सम्मान निधि भी मिल जाएगी। शासन की प्रक्रिया है, कुछ वक्त लगेगा।
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