इंदौर मंडी शुल्क घटाने और निराश्रित शुल्क हटाने की मांग को लेकर मध्य प्रदेश की मंडियों में हड़ताल की वजह से अब तक करीब ढाई हजार करोड़ रुपये के कारोबार का नुकसान हुआ है। इस कारण महंगाई भी बढ़ने लगी है और सोयाबीन किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। पिछले 12 दिन से चले रही मंडी हड़ताल के कारण कृषि जिंसों की आपूर्ति व्यवस्था चरमरा गई है। सकल अनाज दलहन-तिलहन व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल के मुताबिक मंडियों में रोजाना करीब 200 करोड़ रुपये का कारोबार होता है। इस हिसाब से हड़ताल के कारण अब तक लगभग 2400 करोड़ रुपये के कारोबार का नुकसान हुआ है।
इस बीच दलहन की आपूर्ति बाधित होने की वजह से दालों के भाव बढ़ने लगे हैं। दाल मिलर संजय काबरा के मुताबिक मंडियों में हड़ताल शुरू होने से लेकर अब तक तुअर व उड़द दाल के भाव 1000 रुपये तक बढ़ गए हैं और चना दाल 400 रुपये तक महंगी हुई है। काबरा का कहना है कि मंडियों में हड़ताल की वजह से प्रदेश का दलहन कारोबार 80 तक प्रतिशत प्रभावित हुआ है।
मंडियों में हड़ताल का असर सोयाबीन की आपूर्ति पर भी हुआ है। इसके चलते सोया प्लांटों का काम प्रभावित हुआ है। कुछ प्लांट मालिकों का कहना है कि सोयाबीन की सप्लाई बंद होने से प्लांट चलाना मुश्किल हो गया है। किसान भी परेशानी में हैं। कुछ सोया प्लांट सीधे किसानों से माल तो खरीद रहे हैं, लेकिन भाव 3400-3500 रुपये प्रति क्विंटल ही दे रहे हैं, जबकि मंडियों में हड़ताल शुरू होने से पहले सोयाबीन के भाव 3800 रुपये से ऊपर तक चले गए थे।
हड़ताल जारी रखने पर फैसला आज
सकल अनाज दलहन-तिलहन व्यापारी महासंघ मंगलवार को एक बैठक करेगा। इसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी। तय किया जाएगा कि हड़ताल आगे भी जारी रखी जाए या नहीं। वैसे संघ के अध्यक्ष अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश सरकार ने अब तक मंडियों में हड़ताल को गंभीरता से नहीं लिया है।
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