पंचांगीय गणना से इस बार रविवार को शारदीय नवरात्र की नवमी के साथ दशहरा उत्सव मनाया जाएगा। ज्योतिषियों के अनुसार महानवमी के दिन सुबह 7.42 के बाद दशहरा लग जाएगा। इसलिए इस दिन संध्या काल में दशहरे का पूजन व त्योहार मनाया जा सकता है। ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार तिथि की घट बढ़ के कारण शारदीय नवरात्र की नवमी उपरांत दशहरे का संयोग बन रहा है। जिन परिवारों में कुल परंपरा अनुसार नवमी का पूजन किया जाता है, वे सुबह 7.42 तक कुलदेवी की पूजा कर सकते हैं। इसके बाद दशमी तिथि अर्थात दशहरा लग जाएगा। धर्मशास्त्रीय मान्यता में दशहरे पर दस प्रकार के पापों का शमन बताया गया है। अर्थात दोषों की निवृत्ति व परिहार के लिए इस दिन पूजन की मान्यता है। नवमी पर कुल परंपरा अनुसार घरों में कन्या पूजन के आयोजन भी होंगे।
विजयादशमी पर धनिष्ठा नक्षत्र
विजय दशमी का पर्व रविवार को धनिष्ठा नक्षत्र के शुभ संयोग में मनेगा। धनिष्ठा को पंचक का नक्षत्र कहा गया है। इस नक्षत्र में शुभ मांगलिक कार्यों का शुभफल पांच गुना अधिक मिलता है। इस दिन शिप्रा तट स्थित जया विजया अपराजिता माता तथा शमी वृक्ष के पूजन का विधान है। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से शाम 4 बजे भगवान महाकाल की सवारी निकाली जाएगी। हालांकि कोरोना संक्रमण के चलते मंदिर प्रशासन ने फिलहाल इस पर निर्णय नहीं लिया है। शनिवार को आपदा प्रबंधन समूह की बैठक में इस पर निर्णय होगा।
प्रतीकात्मक रावण दहन
कोरोना संक्रमण के चलते इस बार दशहरा मैदान तथा शिप्रा तट कार्तिक मेला ग्राउंड में प्रतीकात्मक रावण दहन होगा। आयोजन समितियों ने 12 फीट ऊंचे रावण के पुतलों का निर्माण किया है। आयोजन स्थल पर किसी को भी आने की अनुमति नहीं है। भक्त घर बैठे ऑनलाइन रावण दहन उत्सव कार्यक्रम देख सकेंगे। आतिशबाजी भी प्रतीकात्मक होगी।
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