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शारदीय नवरात्र 17 अक्टूबर को शुरू मां दुर्गा का आगमन घोड़े पर हो रहा है जबकि वे हाथी पर सवार होकर विदा होंगी


 शारदीय नवरात्र 17 अक्टूबर को शुरू हो रहे हैं। ऐसे में शहर में विभिन्न स्थानों पर विराजमान होने वाली मां दुर्गा की सुंदर प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में मूर्तिकार जुटे हुए हैं। इस बार मां दुर्गा का आगमन घोड़े पर हो रहा है, जबकि वे हाथी पर सवार होकर विदा होंगी। वहीं बाजारों में नवरात्र महोत्व को लेकर व्यसायिक तैयारियां शुरू हो गई हैं। नवरात्र महोत्सव के लिए शहर के फुटपाथ, ठेले व दुकानों पर मां दुर्गा की चुनरी व अन्य पूजन सामग्री भी बिकने लगी है।


ज्योतिषाचार्य पं. गौरव उपाध्याय, डॉ. दीपक गोस्वामी ने बताया कि आश्विन शुक्ल पक्ष एवं शनिवार (17 अक्टूबर) से नवरात्र महोत्सव शुरू हो रहे हैं, जो 25 अक्टूबर तक चलेगा। शुभारंभ प्रमादी संवत्सर के सारा बुध एवं मंत्री चंद्र हैं। वर्ष में चार नवरात्रि आती हैं, जिनमें दो गुप्त एवं दो प्रकट रहती हैं। अषाढ़, माघ, चैत्र, अश्विन आषाढ, माघ, चैत्र, अश्विन माह के शुल्क पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्र शुरू होते हैं।







17 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि योग में नवरात्र महोत्सव शुरू हो रहे हैं, पूरे नौ दिन की नवरात्र मनाई जाएगी। सर्वार्थसिद्धि के साथ ही रवियोग, त्रिपुष्कर व यमघट योगों का महासंयोग बन रहा है। इसलिए यह नवरात्र श्रद्धालुओं के लिए खासा फलकारी है। गौरतलब है कि इस बार श्राद्ध पक्ष खत्म होने के साथ ही अधिकमास लग गया। इस कराण उसके बाद आने वाले सभी त्यौहारों में देरी हुई है। यह योग 165 साल बाद आया है।







वहीं कोरोना के कारण इस बार नवरात्र महोत्सव अन्य सालों की अपेक्षा काफी अलग रहेगा। कोरोना के कारण शारीरिक दूरी का पालन करने के निर्देश शासन द्वारा दिए गए हैं। नई सड़क पर मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार राकेश नागवंशी ने बताया कि इस साल 6 फीट तक की ही मूर्तियां ही अधिक तैयार की हैं, जिन्हें अंतिम रूप दिया जा रहा है। इस बार पिछले साल के मुकाबले काफी कम व्यवसाय है। कोरोना के चलते कई लोगों ने महज ढाई-तीन फीट की मूर्ति ही बुक कराई थीं, जिन्हें केवल रश्म पूरी करने के लिए विराजमान कराया जाएगा। बड़ी मूर्तियां विराजमान होती थीं तो हमारा मुनाफा भी अधिक होता था।


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