उज्जैन। रुद्रसागर के बीच टीले पर बनाए गए सम्राट विक्रमादित्य के सिंहासन से पत्थर उखड़ने लगे हैं। सिंहासन से छत्र भी गायब हो गया है। खास बात यह है कि इसकी मरम्मत भी नहीं की जा रही। अफसरों का कहना है कि जल्द ही रखरखाव किया जाएगा।
बता दें कि विक्रमादित्य का सिंहासन, प्राचीन रूद्रसागर के बीच स्थित विक्रमादित्य टीले पर बना है। मान्यता है कि यहां सम्राट विक्रमादित्य का सिंहासन हुआ करता था। वे अपने नवरत्नों के साथ यहां सभा में बैठते थे।
इस स्थल को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए नगर निगम ने साल 2015 में 5 करोड़ रुपये का विकास एवं सुंदरीकरण कार्य कराया था। टीले से अतिक्रमण हटाकर विशिष्ट धातुओं से निर्मित 30 फीट ऊंची सम्राट विक्रमादित्य की प्रतिमा स्थापित की थी। 65 मीटर लंबा आर्च ब्रिज भी बनाया गया। वर्तमान में इन सभी निर्माण की चमक फीकी पड़ गई है। सम्राट का छत्र सिंहासन से गायब हो गया है और सिंहासन में लगाया लाल पत्थर उखड़ रहा है।
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