Header Ads Widget

Responsive Advertisement

अमेरिकी नागरिकों को सोशल सिक्युरिटी कार्ड के नाम पर ठगने वाले इंटरनेशनल कॉल सेंटर का खुलासा

 



अमेरिकी नागरिकों को सोशल सिक्युरिटी कार्ड के नाम पर ठगने वाले इंटरनेशनल कॉल सेंटर का खुलासा हुआ है। क्राइम ब्रांच ने कॉल सेंटर के 21 कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है। इनमें तीन युवतियां हैं। कॉल सेंटर से करीब एक लाख अमेरिकियों का सोशल सिक्योरिटी डेटा भी मिला है।


कम्प्यूटर सिस्टम के जरिए ये इंटरनेट कॉलिंग करते थे। खुद को विजिलेंस एजेंसी का स्टाफ बताकर सोशल सिक्योरिटी कार्ड नंबर जुटाकर अमेरिकी नागरिकों को यह कहकर डराते थे कि वो अपराध में शामिल हैं। इसी के जरिए ये कॉल सेंटर एक दिन में 8 से 10 लाख रुपए कमाते थे। बातचीत तीन अलग-अलग लेवल पर की जाती थी। अमेरिकी नागरिकों से अमेरिकन एक्सेंट में बातचीत करते थे।


इंदौर डीआईजी हरि नारायणाचारी मिश्र ने बताया,'क्राइम ब्रांच को ओके सेंटर बिल्डिंग के फ्लैट नंबर- 301 में अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर की जानकारी मिली थी। पता चला था कि यहां से अमेरिकी नागरिकों से उनके सोशल सिक्योरिटी नंबर के नाम पर ड्रग्स ट्रैफिकिंग, मनी लॉड्रिंग, बैंक फ्रॉड और एंटी नेशनल एक्टिविटी की गलत इन्फर्मेशन देकर उलझाते थे।


गुरुवार देर रात छापा मारकर पुलिस ने मैनेजर जोशी फ्रांसिस, आईटी हेड जयराज पटेल सहित 16 लड़के और 3 लड़कियों को गिरफ्तार किया है। इस कॉल सेंटर का संचालक करण भट्‌ट है, जो अहमदाबाद का है। वह अभी फरार है। यहां से कम्प्यूटर और बाकी सामान भी जब्त किया गया है।


सुबह चार बजे तक कर लेते थे 8 से 10 लाख की ठगी


जांच में सामने आया कि ये कॉल सेंटर देर रात में अमेरिकी नागरिकों की ऑफिशियल टाइमिंग के हिसाब से इंदौर में ऑपरेट होता था। सुबह 4 बजे तक कर्मचारी अमेरिकी नागरिकों से ठगी कर अपना काम निपटाकर घर चले जाते थे। एक दिन में ठगी का आंकड़ा 10 से 15 हजार डाॅलर यानी की करीब 8 से 10 लाख से ऊपर का रहता था।


काॅल सेंटर अमेरिकी नागरिकों के ऑफिशियल टाइमिंग के हिसाब से इंदौर में संचालित होता था

ठगी के लिए तीन लेयर्स थीं


डायलर्स निचले स्तर के कर्मचारी होते हैं, जो इंटरनेट पर अमेरिकी लोगों के डेटा के आधार पर उन्हें लगातार फोन कर संपर्क करते रहते हैं। क्लोजर वे हैं, जो जाल में फंसने पर उनसे अमेरिकी लैंग्वेज में उन्हीं की टोन से बात कर लगते हैं। तीसरे टेक्नो हेड वे होते हैं, जो अमेरिकी समझदार होता है, उन पर एक ऑफिसर की तरह रौब जमाकर उन्हें समस्या से बाहर निकालने के लिए तैयार कर उनसे रुपया निकलवाते हैं।


ये अमेरिकी नागरिकों से रुपया कैश में न लेते हुए गिफ्ट बाउचर सिस्टम से रुपया लेते थे, जो अमेरिका के जरिए चाइना होकर बिट क्वाइन के जरिए कॉल सेंटर ऑपरेटर्स के अकाउंट्स में आता था। क्राइम ब्रांच रुपयों की इस लिंक की पड़ताल कर रही है।


FBI की टीम भी आई थी इंदौर


बीते साल साइबर सेल की टीम ने इंदौर के विजय नगर व लसूड़िया इलाके से कई काल सेंटर संचालकों को पकड़ा था। इसमें डेढ़ सौ से ज्यादा कर्मचारी व एक दर्जन काॅल सेंटर संचालकों पर कार्रवाई हुई थी। इनके पास से 10 लाख अमेरिकी नागरिकों का डेटा जब्त हुआ था। इस रैकेट के बाद अमेरिकी जांच एजेंसी FBI के अधिकारी भी इंदौर पहुंचे थे।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ