राजधानी की कुछ महिलाएं इन दिनों फटे-पुराने कपड़ों से डॉग बेड बना रही हैं। सर्दी के इस मौसम में यह डॉग बेड पेट्स के साथ स्ट्रीट डॉग्स के लिए भी उपयोग किए जा रहे हैं। 80 रुपए में बिकने वाले एक डॉग बेड पर महिला को 50 रुपए मिल रहे हैं। अब तक 100 से ज्यादा बेड बिक चुके हैं। पिछले साल सीवाईओबी यानी कैरी योअर ओन बैग के तहत जिन महिलाओं ने पुराने कपड़ों के झोले बनाए थे वे इस बार डॉग बेड बनाने का काम कर रहीं हैं।
ऐसे बना रहे हैं डॉग बेड
पुराने जींस, पेंट, शर्ट और दूसरे अनुपयोगी कपड़े लोगों के घरों से इकट्ठा हो रहे हैं। इन्हें बेड का शेप देने के बाद जिंस या पेंट या ऐसे ही किसी मोटे कपड़े से उसका कवर बनाया जा रहा है। द्वारका नगर में 25 महिलाओं का एक समूह यह काम कर रहा है।
बेड नहीं बनाते तो खंती में जाता यह कपड़ा
डॉग बेड बनाने का यह आइडिया देने वालीं पूजा आयंगर ने कहा यदि इस कपड़े का उपयोग बेड बनाने में नहीं होता तो यह कपड़ा दीगर कचरे के साथ आदमपुर छावनी स्थित खंती में पहुंच जाता। आयंगर ने बताया कि पिछले साल सीवाईओबी में उन्होंने इन महिलाओं से खास तरह के झोले बनवाए थे। एक ही झोले में अलग-अलग जेब होने से खासतौर से सब्जी खरीदते समय अलग-अलग पॉलिथीन की जरूरत नहीं पड़ती है।
0 टिप्पणियाँ