नोटाें के अलावा सोना-चांदी, हीरे-मोती से सजावट के लिए देशभर में अपनी पहचान रखने वाले रतलाम के महालक्ष्मी मंदिर में सजावट के लिए धन आना शुरू हो गया है। शहर के माणकचौक स्थित प्रसिद्ध श्री महालक्ष्मी मंदिर को इस मर्तबा भी नकदी राशि व आभूषणों से सजाया जाएगा। मां के दरबार में राशि चढ़ाने वालों को टोकन दिया जा रहा है। शहर सहित अन्य शहरों से भी यहां भक्त पहुंच कर राशि दे रहे हैं। नकदी राशि, आभूषण सहित अन्य कीमती सामग्री से मां लक्ष्मी का श्रृंगार किया जाएगा और इस श्रृंगार के दर्शन धनतेरस से दीवाली तक भक्त कर पाएंगे। इसके बाद प्रसादी के रूप में जिन-जिन भक्तों ने अपनी कीमती सामग्री यहां दी वे वापस लेना शुरू कर देंगे।
माणकचौक स्थित महालक्ष्मी मंदिर प्रदेश ही नहीं देश में प्रसिद्ध हो चुका है। यहां हर साल दीवाली पर महालक्ष्मी का हीरे, जेवरात, सोने-चांदी के आभूषण, नकदी राशि से श्रृंगार किया जाता है। इस मर्तबा कोरोना महामारी के चलते हर साल के मुकाबले हीरे, जेवरात, सोने-चांदी के आभूषण कम आने की उम्मीद है। यहां नकदी राशि लेकर भक्त पहुंच रहे हैं। शहर सहित, बडोदरा, इंदौर, पेटलावद, सारंगी, जावरा सहित अन्य शहरों से आए भक्तजनों ने नकदी राशि जमा कराने के साथ ही टोकन हासिल किया है। मंदिर परिसर को नोटों की वंदनवार से सजाया गया है। धनतेरस के एक दिन पहले कुबेर के धन से मां का श्रृंगार किया जाएगा। अगले दिन अल सुबह महाआरती के साथ ही भक्तों के दर्शन लिए मां के पट खोले जाएंगे जो दिवाली तक खुले रहेंगे और भाईदूज से सामग्री लौटाने की शुरुआत की जाएगी।
सालों से चली आ रही है परंपरा
महालक्ष्मी मंदिर में सालों से गहने और नगद राशि चढ़ाने की परंपरा रही है। इस भेंट को बकायदा रजिस्टर में नाम व फोटो के साथ नोट भी किया जाता है। इसके बाद रिकॉर्ड के आधार पर भक्तों को सबकुछ प्रसादी के रूप में लौटा दिया जाता है। भक्तों की आस्था है कि यहां नोट-आभूषण रखने से सालभर घर में बरकत रहती है। खास बात यह कि देते और लेते समय कोई हिसाब-किताब नहीं होता। लोगों की आस्था और विश्वास सिर्फ एक टोकन के भरोसे है। पहले यहां टोकन सिस्टम नहीं होता था। टोकन के बाद पिछले साल से पासपोर्ट फोटो भी लेना शुरू कर दिया। ताकि प्रसादी के रूप में लौटाई जाने वाली राशि व अन्य कीमती सामग्री में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी नहीं हो पाए।
11 नवंबर की शाम तक ली जाएगी सामग्री
मंदिर के पुजारी संजय ने बताया 12 नवंबर को धनतेरस मनाई जा रही है। 11 नवंबर की शाम 5 बजे तक नकदी राशि, आभूषण सहित अन्य कीमती सामग्री मां के दरबार में चढ़ाने के लिए भक्तों से ली जाएगी। इसके बाद मंदिर का दरबार सजाया जाएगा। जो अगले दिन भक्तों के दर्शन के लिए खोला जाएगा। शुक्रवार तक 80 भक्तों ने नकदी राशि जमा करवाई है।
मंदिर के अंदर किसी का भी प्रवेश नहीं रहेगा
शहर एसडीएम अभिषेक गेहलोत ने बताया कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए धनतेरस से दीवाली तक भक्तों को मंदिर में आना निषेध रहेगा। मंदिर के बाहर तख्त लगा दिया जाएगा। यहां से भक्त महालक्ष्मी के दर्शन करेंगे। जहां वाहनों की पार्किंग की जा रही है वहां बैरिकेट लगाकर महिला व पुरूष अलग लाइनें लगाकर दर्शन करवाएं जाएंगे। परंपरा में कोई बदलाव नहीं किया गया है। कुबेर पोटली नहीं बांटी जाएगी।
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