जल लक्ष्मी - कुछ अप्रचलित और नूतन लक्ष्मी स्वरूपों की चर्चा
जल जीवन है और जीवन का संचालन लक्ष्मी के बिना सम्भव नहीं। लक्ष्मी जल से ही प्रकट हुई हैं। इस अर्थ में जल ही लक्ष्मी है। शरद पूनम की रात नारियल के जल से उनकी पूजा मनोकामना पूरी करती है और स्वच्छ जल वाली प्रवाहित नदियों में लक्ष्मी का वास माना गया है। उनके स्वामी नारायण है जो नीर निवासी होने से नारायण और मेघों के रूप में व्याप्त होने से विष्णु कहलाते हैं।
दो गज लक्ष्मी का निरन्तर जलाभिषेक करते हैं और रत्नाकर प्रदत्त रत्न ही उनके अलंकार हैं। ये सारे प्रतीक बताते हैं कि संसार में जल ही लक्ष्मी है। जल से ही जीवन, अन्न, उद्योग आदि सम्भव है।
धरती से आकाश तक जल उसी तरह व्याप्त है, जैसे देवी लक्ष्मी हैं। जब हम जल का सदुपयोग करते हैं और यथासम्भव स्वच्छ रखते हैं तो मानिए हम लक्ष्मी की पूजा ही करते हैं।
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