कोरोना वायरस महामारी के कारण हवाई यातायात में भारी गिरावट से मौसम की सटीक भविष्यवाणी पर असर पड़ा है। व्यावसायिक एयरलाइनों से मिलने वाले आंकड़े घटने से ऐसी स्थिति आई है। एक स्टडी में सरकारी शोधकर्ताओं ने पाया कि विमानों से तापमान, हवा और नमी से संबंधित डेटा कम मिलने पर कम अवधि के अनुमान खराब निकले। मौसम की भविष्यवाणी और वास्तविक स्थिति में अंतर रहा। यात्री और मालवाहक विमानों से मिलने वाला वातावरण का डेटा मौसम का हाल बताने के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहता है।
उत्तर अमेरिका और यूरोप के हजारों एरोप्लेन पर लगे उपकरणों से जानकारी इकट्ठी होती है। यह डेटा उसी समय दुनियाभर में मौसम विभागों को पहुंचाया जाता है। विश्व में महामारी के पहले कुछ महीनों में एयर ट्रैफिक लगभग 75 प्रतिशत गिर गया। इसी हिसाब से मौसम के अनुमान भी कम हो गए। ग्लोबल सिस्टम्स लेबोरेटरी, अमेरिका के वरिष्ठ वैज्ञानिक स्टेन बेंजामिन बताते हैं, मौसम अनुमान के हर मॉडल का सही होना आंकड़ों पर निर्भर है। यदि अधिक संख्या में डेटा नहीं मिलेगा तो क्वालिटी प्रभावित होगी। राष्ट्रीय समुद्री और वातावरण प्रशासन का कहना है, अब तक कम अवधि की भविष्यवाणियों पर प्रभाव देखा गया है। ऐसे अनुमानों के आधार पर कंपनियां बिजनेस से जुड़े फैसले करती हैं। लोग भी रोजमर्रा की गतिविधियां तय करते हैं।
मौसम का हाल जानने के लिए उपग्रहों, समुद्री उपकरणों और आसमान में उड़ाए जाने वाले गुब्बारों से मिले डेटा का भी उपयोग होता है। पिछले कुछ माह में एयर ट्रैवल बढ़ने से डेटा में भी बढ़ोतरी हुई है। अमेरिका में इस समय महामारी से पहले के मुकाबले प्रतिदिन 50 प्रतिशत कम हवाई उड़ानें हो रही हैं। ग्लोबल सिस्टम्स लेबोरेटरी के डॉ. बेंजामिन और उनके दो सहयोगियों ने 2018 और 2019 के आंकड़ों में 80 प्रतिशत कमी करके महामारी के शुरुआती दौर जैसे माहौल के आधार पर रिसर्च की है। इस बीच विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने और अधिक एयरलाइनों से डेटा हासिल करने के लिए करार किया है। इस समय लगभग 40 एयरलाइनों के 3500 विमान डेटा देने के कार्यक्रम में शामिल हैं।
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