एमवाय अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था पहले भी सवालों के घेरे में रही है। चार साल पहले यहां से दो बच्चे चोरी हो चुके हैं, वहीं छह साल पहले वार्ड में सरेआम गोली मारकर एक की हत्या हो चुकी है।
25 फरवरी 2016 को ग्राम रावटी निवासी संगीता पति प्रकाश का बच्चा एक महिला चुरा ले गई थी। इसके बाद 3 अप्रैल 2016 को ममताबाई पति कोमल का बच्चा एक महिला चुरा ले गई थी। दो महिला गैंग ने एक नि:संतान दंपती के लिए बच्चा चुराया था और उसे एक लाख में बेच दिया था।
हालांकि महिलाएं पकड़ी गई थीं। तब भी कमजोर सुरक्षा व्यवस्था के कारण बच्चा वार्ड तक महिलाएं पहुंच गई थीं। वहीं 21 जुलाई 2014 को शाम साढ़े 4 बजे वार्ड 17 में भर्ती सेंट्रल जेल के कैदी रामदयाल कोकरु की डॉक्टर के वेश में आए बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। बदमाश जेडी नामक एक अन्य बदमाश की हत्या करने आए थे लेकिन पलंग बदल जाने से रामदयाल को मारकर चले गए थे।
16 बिंदुओं पर लापरवाही, सुरक्षा प्लान बनवाया था
तत्कालीन एसएसपी विपिन माहेश्वरी ने 16 बिंदुओं पर एमवायएच में लापरवाही चिह्नित कर उसी के आधार पर सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करने के लिए योजना तैयार करवाई थी। बाद में एमवायएच प्रशासन ने इस सुरक्षा व्यवस्था के आधार पर अस्पताल में तीन बैरिकेडिंग वाले गेट लगवाए थे और निजी सुरक्षा एजेंसी ईगल के सुरक्षा गार्ड भी ऑरेंज रंग की वर्दी में तैनात किए थे।
पूरे अस्पताल परिसर में फायर सेफ्टी के साथ सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए थे। इस सब पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए, लेकिन रविवार को बच्चा चोरी की घटना ने अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था को फिर से कठघरे में खड़ा कर दिया।
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