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इंदौर :हाई कोर्ट:जो परीक्षा होती ही नहीं, उसे पास न करने पर नौकरी से निकाला, हाई कोर्ट ने आदेश निरस्त किया


एमजीएम मेडिकल कॉलेज में नौकरी करने वाली एक महिला को डीन ने नौकरी से इसलिए निकाल दिया, क्योंकि उसने टाइपिंग की वह परीक्षा पास नहीं की थी, जिसे सरकार ने आठ साल पहले ही बंद कर दिया था। महिला ने कम्प्यूटर में डिप्लोमा कर लिया था, लेकिन टाइपिंग के लिहाज से इस डिप्लोमा को खारिज कर दिया था।


हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद महिला को निकाले जाने के आदेश को निरस्त कर दिया। डीन को आदेश दिया कि उसे नौकरी पर फिर से रखा जाए। जस्टिस सतीशचंद्र शर्मा की खंडपीठ के समक्ष इस याचिका की सुनवाई हुई। मेडिकल कॉलेज में रेशम मेढ़तवाल को 2012 में अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। नियुक्ति के एक साल बाद टाइपिंग परीक्षा पास करना थी, लेकिन सरकार ने 2013 में ही इस परीक्षा को बंद कर दिया था।


इसी बीच महिला ने कम्प्यूटर डिप्लोमा कर लिया। उसे इसी वर्ष टाइपिंग परीक्षा पास नहीं करने पर नियुक्ति निरस्त करने का आदेश मिला। इस पर अधिवक्ता आनंद अग्रवाल के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में उल्लेख किया कि सरकार ने भर्ती नियम में संशोधन किया है। टाइपिंग के बजाय दूसरी परीक्षा का विकल्प सरकार ने तैयार किया है, लेकिन वह याचिकाकर्ता पर लागू नहीं होता।


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